पड़ताल: क्या इस तस्वीर में इटली में कोरोना वायरस से मारे गए लोगों की लाशें दिख रही हैं? हमारी पड़ताल में यह दावा झूठ निकला

हमारी नजर
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पड़ताल: क्या इस तस्वीर में इटली में कोरोना वायरस से मारे गए लोगों की लाशें दिख रही हैं?
तस्वीर में वायरल दावा.
दावा
सोशल मीडिया पर इटली में कोरोना वायरस की वजह से हो रही मौतों से जुड़ा दावा वायरल हो रहा है इस दावे में के साथ एक तस्वीर शेयर की जा रही है. हम दावे में बिना भाषाई छेड़छाड़ किए, ज्यों का त्यों लिख रहे हैं.
जिनको कोरोना मज़ाक लगता है वो लोग गौर करें। यह इटली शहर है।जहां लाश उठाने को कोई तैयार नही।
मुझे सभी लोग से नमे नियेदान है की आप लोग इसे मजाक में मत ले नहीं तो इटली से भी बुरा हाल हमरा इंडिया का हो जायेगा…..🙏🙏🙏🙏🙏😢😢😢
इस तस्वीर में बहुत सारे लोग जमीन पर लेटे हुए दिख रहे हैं. फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स ने इस दावे को शेयर किया है.
जिनको कोरोना मज़ाक लगता है वो लोग गौर करें। यह इटली शहर है।जहां लाश उठाने को कोई तैयार नही।
पड़ताल
हमने इस वायरल दावे की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में यह दावा झूठ निकला. यह तस्वीर इटली के किसी शहर की नहीं है. और लाशों की तो बिल्कुल भी नहीं. यह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर की है.
पड़ताल के लिए हमने तस्वीर को yendex सर्च इंजन पर रिवर्स सर्च किया. हमें इस घटना की असली तस्वीर मिल गई. यह तस्वीर न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने खींची थी. यह 24 मार्च, 2014 की घटना है. रॉयटर्स के मुताबिक,
24 मार्च, 2014 को फ्रैंकफर्ट शहर में कात्ज़बाक़ नाज़ी कंसंट्रेशन कैंप में मारे गए 528 लोगों की याद में शहरवासी जमीन पर लेटे थे. इस कंसंट्रेशन कैंप में 24 मार्च, 1945 को मारे गए 528 लोगों को फ्रैंकफर्ट के केंद्रीय कब्रिस्तान में दफनाया गया था
रॉयटर्स की वेबसाइट पर मौजूद असली फोटो.
नतीजा
यह घटना इटली की नहीं, बल्कि जर्मनी में हुई है. और वह भी 24 मार्च, 2014 को. इस घटना का और इस तस्वीर का कोरोना वायरस से कोई नाता नहीं है. इस तस्वीर में दिख रहे लोग ज़िंदा हैं. ये नाज़ी कैंपों में 24 मार्च, 1945 को प्रताड़ना से मारे गए लोगों की याद में किए गए जुलूस की तस्वीर है जिसे न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने खींचा है.
पड़ताल: क्या इस तस्वीर में इटली में कोरोना वायरस से मारे गए लोगों की लाशें दिख रही हैं?
दावा
तस्वीर इटली के शहर की है. जहां कोरोनावायरस के शिकार लोगों की लाश उठाने को कोई तैयार नहीं है सोशल मीडिया यूज़र्स
नतीजा
यह घटना इटली की नहीं, बल्कि जर्मनी में 24 मार्च 2014 को हुई थी. इस तस्वीर का कोरोना वायरस से कोई नाता नहीं है. ये नात्ज़ी कैंपों में 24 मार्च 1945 को प्रताड़ना से मारे गए लोगों की याद में किए गए जुलूस की तस्वीर है जिसे न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने खींचा है.