सरकार की वर्तमान शिक्षा नीति, प्रभाव और सुधार

जमुई
जनादेश न्यूज़ जमुई
जमुई (उपेंद्र तिवारी) : आधुनिक शिक्षा नीति का व्यापक असर रहा है। इसके लाभ से इंकार कदापि नहीं किया जा सकता। इससे पुरानी घिसी पिटी शिक्षा पद्धति में भी काफी सुधार हुआ है। आज की शिक्षण पद्धति आधुनिकता पूर्ण है। बच्चों को अब नई नई और व्यापक तरकीब तथा तकनीक से शिक्षा दी जा रही है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन आज भी शिक्षा रोजगार परख नहीं हो पाई है। इससे रोजगार के अवसरों में कोई खास परिवर्तन नहीं हो सका है और शिक्षित बेरोजगारी को दूर करने में इसकी कोई खास भूमिका नजर नहीं आती है। दिनानुदिन शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। यह देश के लिए एक बड़ा अभिशाप होने के साथ साथ इसके विकास में एक बड़ी बाधा भी है। ऐसी स्थिति में शिक्षा नीति में व्यापक सुधार की आवश्यकता जान पड़ती है। हमारे यहां आज भी माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक सभी बच्चों को ऐसी विषयों को भी पढ़ना पड़ता है जिनमें उनकी कोई अभिरुचि नहीं होती। ऐसे में जबरन उनसे शत् प्रतिशत परिणाम की अपेक्षा करना महज बेमानी है। इस हिसाब से देखा जाए तो शिक्षा नीति में अभी भी व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता जान पड़ती है। बेहतर होता कि विद्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षा के तुरंत बाद ही उनकी अभिरुचि और काबिलियत के आधार पर आगे की शिक्षा दी जाती। इससे उनकी प्रतिभा में नैसर्गिक निखार आता और उनका व्यापक शैक्षणिक विकास होता। इसके साथ-साथ विद्यार्थियों के लिए प्रारंभिक अवधि से ही रोजगार परख शिक्षा की भी व्यवस्था की जानी चाहिए । ऐसा करने से उनके लिए रोजगार के नए अवसर खुल जाएंगे और उन्हें रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इससे शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में काफी हद तक कमी लायी जा सकती है और सरकारी नौकरियों पर से काफी हद तक दबाव घटाया जा सकता है। प्रायः ऐसा देखने को मिलता है कि रोजगार मेला के माध्यम से बहुत सी कंपनियां युवाओं को ढूंढती हैं और उनसे आवेदन लेती हैं। लेकिन उनकी जरूरत को पूरा करने वाले हुनरमंद युवा उन्हें नहीं मिल पाते और इन कंपनियों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। आखिर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न होती है! जवाब सीधा है – रोजगार परख शिक्षा का अभाव। अतः सरकार को इन बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कर शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव करना चाहिए। ताकि शिक्षित बेरोजगारी जैसे अभिशाप से बचा जा सके और देश के सर्वांगीण विकास में संपूर्ण मानव बल खासकर युवाओं का शत-प्रतिशत उपयोग किया जा सके।