जनादेश न्यूज़ नेटवर्क की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई

JANADESH NEWS NETWORK (TEAM) देश
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क
मैं पत्रकार को सत्य का प्रहरी मानता हूं, सत्य को प्रकाशित करने के लिए वह मोमबत्ती की तरह जलता है। सत्य के साथ उसका वही नाता है, जो एक पतिव्रता नारी का अपने पति के साथ रहता है। पतिव्रता पति के साथ सती हो जाती है और पत्रकार सत्य के साथ।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क की तरफ से हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सभी गुरुदेव, माता-पिता,अग्रज एवं मार्गदर्शक जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से हमें सहयोग दिए और आज इस काबिल बनाया उन्हें चरण स्पर्श, इस रास्ते में हमारा सहयोग देने वाले तमाम साथियों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई.
लोकतंत्र के चौथे स्तभ के वजूद की नींव 30 मई 1826 को कानपुर के पं. जुगल किशोर शुक्ल के देवनागरी में हिन्दी का पहला समाचार पत्र ‘उदंत मार्तन्ड’ से पड़ी। उस समय लगाया गया हिंदी पत्रकारिता का वटवृक्ष इतना विशाल हो जाएगा इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
पत्रकारिता में क्रांतिकारिता का रंग गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने भरा था। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में 9 नवंबर 1913 को ‘प्रताप’ की नींव पड़ी। यह काम शिव नारायण मिश्र, गणेश शंकर विद्यार्थी, नारायण प्रसाद अरोड़ा और कोरोनेशन प्रेस के मालिक यशोदा नंदन ने मिलकर किया था। चारों ने 100-100 रुपये की पूंजी का योगदान दिया था। 400 रुपये की रकम से चार रुपये महीने किराये के मकान से 16 पृष्ठ का ‘प्रताप’ शुरू हुआ था। पहले साल से पृष्ठों की वृद्धि का सिलसिला बढ़ा तो फिर बढ़ता ही रहा। कुछ ही दिन बाद यशोदा नंदन और नारायण प्रसाद अरोड़ा अलग हो गए। शेष शिव नारायण मिश्र और गणेश शंकर विद्यार्थी ने ‘प्रताप’ को अपनी कर्मभूमि बना लिया। विद्यार्थी जी के समाचार पत्र प्रताप से क्रांतिकारियों को काफी बल मिला।