11 लाख का इनामी नक्सली सिद्धू कोड़ा की गिरफ्तारी के बाद हुई मौत।

जमुई
जनादेश न्यूज़ जमुई
जमुई (अबधेश कुमार सिंह )जिला के शीर्ष जोनल कमांडर सिद्धू कोड़ा उर्फ मुंशी, पिता एतवा हेंब्रम, ग्राम नेहालडीह, थाना चकाई के निवासी की गिरफ्तारी पटना के विशेष टीम के द्वारा 22 फरवरी 2020 को झारखंड के दुमका जिला से गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तारी उपरांत उनके बताए हुए जगहों पर अपर पुलिस अधीक्षक जमुई के नेतृत्व में एसटीएफ बलों के द्वारा सर्च अभियान चलाकर दो सक्रिय सदस्य इलियास हेंब्रम तथा सुशीला हांसदा को भी गिरफ्तार किया गया। सिद्धू कोड़ा की गिरफ्तारी और उनके बताए हुए जगहों से एक एके-47, 1इंसास, एक पुलिस राइफल, एके 47 का 112 गोली, इंसास गोली 16, 303 का11 गोली,1 हैंड ग्रेनेड, पिट्ठू, नक्सली साहित्य, दवाई तथा दैनिक सामान पुलिस को हाथ लगी। एसटीएफ पदाधिकारी के कथनानुसार छापेमारी के क्रम में गिरफ्तार नक्सली सिद्धू कोड़ा के द्वारा जंगल में पेट एवं छाती दर्द की शिकायत की गई। जिसे तत्काल एसटीएफ दल के द्वारा प्राथमिक उपचार हेतु सदर अस्पताल जमुई लाया गया। सदर अस्पताल में डॉक्टर के द्वारा गिरफ्तार सिद्धू कोड़ा को मृत घोषित कर दिया गया। मौत की पुष्टि को लेकर आज सुबह 10:00 बजे पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। गिरफ्तार सक्रिय सदस्य इलियास हेंब्रम, ग्राम घुटिया, थाना चकाई, सुशील हांसदा, ग्राम छिरपत्थर, थाना चंद्रमंडीह, दोनों जमुई जिला के निवासी बताए गए। मुंगेर डीआईजी मनु महाराज जमुई में कैंप कर पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं ,वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार कार्रवाई और जांच की जा रही है। झाझा एसडीपीओ भास्कर रंजन के कथनानुसार सिद्दू कोड़ा पर 70 से अधिक केस दर्ज थे, विभिन्न थानों में। दो दशक से सक्रिय था सिद्दू कोड़ा नक्सली संगठन में। 1998 से ही सक्रिय था, जिसमें मुख्य कांड शामिल है। 1998 में खैरा थाना के दीप- करहर में बारूदी सुरंग विस्फोट कर एक पेट्रोलिंग मजिस्ट्रेट सहित दो लोगों की हत्या की गई थी। 2003 अगस्त माह में हरखार मुखिया गोपाल साव हत्याकांड। अगस्त 2003 मैं डीएम, एसपी के काफिले पर हमला ,जिसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर शहीद हो गए थे ,और 5 सरकारी वाहनों में आग लगा दी थी ।24 अप्रैल 2005 में एकतरवा गांव में 2 लोगों की नृशंस हत्या। 5 जून 2007 को नक्सलियों ने गरही स्थित सिंचाई विभाग के निरीक्षण भवन को डायनामाइट बम से उड़ा दिया था, जिसमें सिद्दू कोड़ा को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था ।4 फरवरी 2009 संत रैदास के मंदिर प्रांगण में पुलिस बल पर हमला किया था ,जिसमें नवादा जिले के कौवाकोल थाना अध्यक्ष समेत 10 जवान शहीद हो गए थे। 2 मार्च 2011 गरही के सिंचाई भवन, आईबी एवं अन्य सरकारी भवन को छतिग्रस्त कर खलारी गांव निवासी रीतलाल यादव की हत्या। खैरा ब्लॉक के पावर सबस्टेशन को डायनामाइट से उड़ा कर ध्वस्त कर दिया था। खैरा थाना पुलिस गस्ती गाड़ी को गीधेश्वर जंगल में हमला कर दीया जिसमें अवर निरीक्षक जेके सिंह की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी, अवर निरीक्षक कमलेश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए थे। लखारी गांव में मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ कमांडेंट हरि झा शहीद हो गए थे ।20 सितंबर 2013 को पुलिस बल पर हमला कर एसटीएफ के एक जवान की हत्या एवं पारसी निर्माणाधीन सामुदायिक भवन को डायनामाइट से उड़ा दिया था। नक्सली बंदी के दौरान गीद्धेश्वर बालू घाट पर 12 ट्रकों को आग के हवाले कर दिया था। बताते चलें कि सिद्दू कोड़ा माओवादियों का शीर्ष नेता व जोनल कमांडर था। जिसकी तलाश पुलिस को दो दशकों से थी। बिहार और झारखंड सरकार ने ₹1100000 का इनाम रखा था ।सिद्धू कोड़ा का पुलिस से कई बार आमना- सामना हुआ लेकिन, मुठभेड़ के बावजूद हर बार बच निकला। पिछले कई वर्षों से जमुई मुंगेर लखीसराय सहित झारखंड के कई जिलों में नक्सलियों का सुप्रीमो पावर के रूप में कार्यरत था सिद्धू कोड़ा।हाल के दिनों में लेवी में लेनदेन को लेकर संगठन के बड़े नेताओं से उसकी अदावत चल रही थी। सिद्धू कोड़ा को संगठन के मारक दस्ता का प्रमुख माना जाता था। सिद्धू कोड़ा के मौत की खबर शनिवार की देर रात लगभग 11:30 बजे जमुई पुलिस प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी गई।