शहीद के सम्मान में फिर से बेवफा निकली बिहार पुलिस की बंदूकें

आरा बिहार
जनादेश न्यूज़ बिहार
पटना : शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए भारी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा बिहार पुलिस के जवान भी मौजूद थे. इस दौरान जब शहीद को फायरिंग कर श्रद्धांजलि देने की बारी आई तो बिहार पुलिस की बंदूके गोलियां उगलने में नाकामयाब रही.
जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन को अंतिम विदाई देने के वक्त एक बार फिर से बिहार पुलिस की बंदूक दगा दे गई. गुरुवार को दोपहर रमेश रंजन का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भोजपुर जिला के जगदीशपुर इलाके में किया गया. शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए भारी संख्या में सीआरपीएफ के अलावा बिहार पुलिस के जवान Iभी मौजूद थे. इस दौरान जब शहीद को फायरिंग कर श्रद्धांजलि देने की बारी आई तो बिहार पुलिस की बंदूकें गोलियां उगलने में नाकामयाब रहीं.
रमेश रंजन को श्रद्धांजलि देने के लिए CRPF के जवानों ने 5 बार इंसास रायफल से ट्रिगर दबा कर फायरिंग की. लेकिन इस दौरान बिहार पुलिस के जवान कंधे पर बंदूक लेकर मूकदर्शक बने रहे. बिहार पुलिस के जवानों ने केवल एक राउंड फायरिंग की. इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें सीआरपीएफ के जवान जहां बंदूक से फायरिंग करते दिख रहे हैं वहीं बिहार पुलिस के जवान कंधे पर बंदूक रखे खड़े हैं. बिहार पुलिस के इस कारनामे की एक बार फिर से चारों ओर चर्चा होने लगी है.इससे पहले शहीद रमेश रंजन के शव को उनके पैतृक गांव देव टोला में ही अंतिम विदाई दी गई. शहीद के शव को उनके पिता ने मुखाग्नि दी. इस दौरान भारत माता की जय, शहीद रमेश अमर रहें के साथ-साथ पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगते रहे.बता दें कि बुधवार को  श्रीनगर में CRPF पर हुए आतंकवादी हमले में रमेश रंजन शहीद हो गए थे. वो सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन में पदस्थापित थे. रमेश रंजन मूल रूप से भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना इलाके के इसाढ़ी के देव टोला के रहने वाले थे. शहीद रमेश का परिवार फिलहाल आरा शहर के गोढ़ना रोड स्थित मोहल्ले में रहता है. रमेश के दोस्तों ने बताया कि उनके परिवार को सीआरपीएफ ने शहीद होने की सूचना दी जिसके बाद पूरे घर में कोहराम मच गया. जानकारी के मुताबिक, रमेश नवंबर महीने में घर आए थे और कुछ दिन पहले ही वो वापस ड्यूटी पर गए थे.
आपको बताते चलें कि इससे पहले हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि से पहले गार्ड ऑफ ऑनर देने में पुलिस की 21 राइफलों से एक भी बुलेट फायर नहीं हुई थी. पिछले साल अगस्त में डॉ.जगन्नाथ मिश्रा की अंत्येष्टि के दौरान सम्मान में 21 पुलिस जवानों को 10-10 राउंड फायर करने थे. यानी, कुल 210 बुलेट छोड़ी जानी थीं. लेकिन उस वक्त भी ट्रिगर दबाते-दबाते जवान थक गए. मगर फायरिंग नहीं हुई.