आज है वट सावित्री का महान व्रत, सुहागिन महिलाओं का निर्जला व्रत शुरू,

बिहार
जनादेश न्यूज़ पटना
अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं. हर वर्ष की तरह इस साल भी ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को यह उपवास पड़ रहा है. 30 मई को इस बार वट सावित्री, शनि जयंती के साथ ही सोमवती अमावस्या का संयोग भी बना है. वट सावित्री व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है. वट वृक्ष की परिक्रमा कर पति के दीर्घायु की कामना करती हैं. वहीं, कुछ महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं. जानें ज्योतिष कौशल मिश्रा के अनुसार इस दिन का महत्व, मान्यताएं और पूजा विधि और पूजा शुभ मुहूर्त के बारे में…
वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि से प्रारंभ: 29 मई, 2022 दोपहर 02:54 बजे से.अमावस्या तिथि की समाप्ति: 30 मई, 2022 को शाम 04:59 बजे तक.वट सावित्री व्रत 30 मई 2022 सोमवार को रखा जाएगा.

इस बार वट सावित्री के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं जिसमें से एक सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07 बजकर 12 मिनट से पूरे दिन रहेगा वहीं सुकर्मा योग: सुबह से रात 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा पाठ करना ज्यादा फलदायी माना जाता है.
वट सावित्री व्रत महत्व और मान्यताएं
ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री के दिन ही माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर आयी थीं.मान्यता यह भी है कि बरगद के पेड़ में साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, महेश अर्थात त्रिदेव का वास होता है. जिनकी पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वर प्राप्त होता है.कहा जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को जीवित करवाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे ही कठोर तपस्या की थी.