शेखपुरा जिलाधिकारी के आदेश-निर्देश को दरकिनार कर अपनी मनमानी पर आतुर है बरबीघा अस्पताल में दो दशक से अंगदी पांव जमाया हुआ रसोईया के.डी झा

शेखपुरा
जनादेश न्यूज़ शेखपुरा
बरबीघा : सामान्यतः बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति शायद ऐसे ही कर्मचारियों की वजह से बदनाम है. जिनकी वजह से विभाग में बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भी कार्य करने का मौका नहीं मिल पाता है ताकि वह विभाग के प्रति लोगों की नजरिया को स्वच्छ रख सकें. विभाग में कुछ ऐसे भी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी होते हैं जिनकी परेशानियों की वजह से बड़े बड़े पदाधिकारी भी सैल्यूट ठोकते हैं और ऐसे चतुर्थवर्गीय कर्मचारी स्थानीय संरक्षण लेकर वरीय पदाधिकारियों पर अपना रौब भी जमाता है जिससे कि विभाग की विकास स्थिर हो जाती है. इतना ही नहीं ऐसे स्थानीय संरक्षण प्राप्त कर विभाग में कर्तव्य के पद पर डटे रहने वाले कर्मचारी जिलाधिकारी के आदेश निर्देश को भी बखूबी पालन नहीं कर पाते हैं और अपनी मनमानी के सहारे अपना कर्तव्य को निभाते हैं. कुछ ऐसा ही गजब का मामला है बरबीघा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सह रेफरल अस्पताल का जहां पिछले दो दशकों से अधिक समय से अपना अंगदी पांव जमाए रसोईया के.डी झा शेखपुरा जिलाधिकारी के आदेश-निर्देश को भी दरकिनार कर अपनी मनमानी पर आतुर है. विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि पिछले दो दशकों से के.डी झा बरबीघा अस्पताल में रसोईया के पद पर पदस्थापित है लेकिन यह रसोईया ही नहीं बल्कि यहां के प्रभारी तक का भी कार्य अपनी ताकत और थानीय संरक्षण के बल पर करता है, जिसके कारण सतत रूप से अस्पताल का विकास नहीं हो पा रहा है.इतना ही नहीं विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बताते चलें कि इनके द्वारा कार्यालय के गुप्त पत्र की सूचना को भी पूर्व में ही संबंधित कर्मचारी या अधिकारी को देता है इतना ही नहीं कार्यालय द्वारा अगर इन्हें मौका मिलता है तो यह संबंधित पत्र की एक कॉपी भी अपने पास सुरक्षित रखता है.
इतना ही नहीं इसकी कारस्तानीयों की वजह से बरबीघा अस्पताल का कोई भी कर्मचारी और पदाधिकारी इनके विरुद्ध नहीं जा सकते इनके द्वारा अपने ढंग से अस्पताल के विकास को देखा जाता है. लेकिन शेखपुरा जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह के आदेश के बाद बरबीघा अस्पताल की जिम्मेवारी डॉक्टर फैसल अरशद को दी गई और इनके नेतृत्व में बरबीघा रेफरल अस्पताल विकास की ओर बढ़ना शुरू किया और रसोईया के.डी झा को भी अपने कर्तव्य पर बेहतर ढंग से कार्य करने का निर्देश दिया गया. लेकिन पिछले दो दशकों से इनकी जैसी चलती थी वैसा इन्होंने फिर चलाना चाहा लेकिन डॉक्टर फैसल अरशद के बेहतर नेतृत्व में विकास कर रहा बरबीघा रेफरल अस्पताल में इनकी तानाशाही रुक गई इतना ही नहीं इनके रवैया को देखते हुए शेखपुरा जिलाधिकारी ने इसका तबादला शेखपुरा जिला मुख्यालय स्थित अतिथि गृह में किया. बावजूद शेखपुरा जिलाधिकारी के आदेश-निर्देश को दरकिनार कर अपनी मनमानी पर आतुर बरबीघा अस्पताल में दो दशक से अंगदी पांव जमाया हुआ रसोईया के.डी झा अपनी स्थानांतरण पत्र को स्वीकार तक नहीं किया और अंततः उसे प्रशासनिक दबाव में बरबीघा अस्पताल से अतिथि गृह में स्थानांतरण कराया गया. आखिर ऐसे कर्मचारियों की वजह से विभाग की बदनामी होती है जिससे सरकार की भी किरकिरी शुरू हो जाती है.