शादीपुर बड़ी दुर्गा की है खास विशेषताएं

मुंगेर
जनादेश न्यूज़ मुंगेर
मुंगेर(ब्यूरो गौरव कुमार मिश्रा ) : मुंगेर के शादीपुर के बड़ी दुर्गा मां के विसर्जन का अलग ही महत्व है। बड़ी मां 32 कहारों के कंधे पर सवार होकर विसर्जन के लिए मंदिर से निकलती हैं। बड़ी दुर्गा की प्रतिमा विजयादशमी को शाम मंदिर परिसर से बाहर विसर्जन के लिए निकलती हैं और अपने निर्धारित रूट से होते हुए शहर के विभिन्न मार्गों का भ्रमण करते हुए दूसरे दिन एकादशी को दोपहर लगभग 12 बजे तक सोझी घाट पहुंचती हैं। यहां श्रद्धालु गमगीन आंखों से मां को विदाई देते हैं। विसर्जन के जिस रास्ते से मां की शोभायात्रा निकलती है, उस रास्ते को शुद्ध जल से साफ किया जाता है। साथ ही पुष्पों की वर्षा भी की जाती है। श्रद्धालुओं के बीच मां की डोली को कंधा देने की होड़ लगी रहती है। जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा मां की आरती उतारकर श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है। इस कारण बड़ी मां को दो किलोमीटर की विसर्जन यात्रा करने में लगभग 20 घंटा का समय लग जाता है। इससे पूर्व विजयादशमी की देर शाम लगभग 8 बजे मां अंबे चौक पर बड़ी महारानी का भव्य स्वागत किया जाता है। वहां पर मां घंटाभर रुकती हैं। स्थनीय लोग पूर्व से उस जगह को शुद्ध जल से धोकर पूरे साज-सज्जा के साथ मां का स्वागत करते हैं। वहां मां की आरती उतारी जाती है। उसके बाद मां वहां से आगे की ओर बढ़ती हैं। मंदिर के पंडित प्रभाकांत मिश्रा बताते हैं कि एक बार यहां कहार के सहारे के बिना विसर्जन के लिए प्रशासन ने ट्रॉली मंगायी गयी थी। लेकिन मां की प्रतिमा अपने स्थान से टस से मस नहीं हुई। काफी प्रयास के बाद भी जब मां की प्रतिमा नहीं हिलीं तो थकहार कर श्रद्धालुओं ने 32 कहार को बुलाया। उनके हाथ लगाते ही मां की प्रतिमा आसानी से बाहर निकल आयीं। यह घटना मां की अपरम्पार महिमा को दर्शाता है।