मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त शिक्षाशास्त्री थे

नालंदा बिहार शरीफ
जनादेश न्यूज़ नालंदा
— ककड़िया में भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की 131 वीं जयंती मनाई गई
— हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की मिसाल थे मौलाना आजाद
— हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे अबुल कलाम आजाद
— प्रगतिशील विचारों के मुसलमान थे मौलाना अबुल कलाम आजाद
बिहारशरीफ : स्थानीय मध्य विद्यालय ककड़िया के प्रांगण में विद्यालय के चेतना सत्र में शिक्षा विभाग के निर्देश के आलोक में भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री भारत रत्न व राष्ट्रवादी आदर्श समाजवादी नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद की 131 वीं जयंती “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” के रूप में धूमधाम से मनाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाध्यापक शिवेन्द्र कुमार ने जबकि कार्यक्रम का संचालन शिक्षक सुरेश कुमार ने किया।
छात्र-छात्राओं के बीच विश्व प्रसिद्ध महान शिक्षाविद, महान विधिवेता तथा प्रखर वक्ता मौलाना अबुल कलाम आजाद के चित्र पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए अपने उद्बोधन में बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी तथा राष्ट्रवादी नेता थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। वे भारत के एक महान शास्त्रवेत्ता, विद्वान, प्रभावशाली वक्ता, राष्ट्रभक्त, प्रतिष्ठित शिक्षा शास्त्री एवं राष्ट्रवादी नेता थे। धर्मनिरपेक्षतावादी सिद्धांतों में उनकी गहरी आस्था थी। उनकी निडरता एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व के कई उदाहरण मिलते हैं। भारतीय संस्कृति में उनका अटूट विश्वास था। मौलाना आज़ाद कई भाषाओँ जैसे अरबिक, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी, पर्शियन और बंगाली में निपुण थे। वे प्रगतिशील विचारों के मुसलमान थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पुराने एवं नए विचारों में अद्भुत सामंजस्य रखने वाले हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। देश सेवा और इस्लाम सेवा दोनों को एक-दूसरे का पूरक मानते थे। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की वे एक मिसाल थे। उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद जी ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। किसी वर्ग विशेष के हित के बजाय वे हमेशा देश हित के बारे में सोचा करते थे।मौलाना आजाद ने अपने जीवन में शिक्षा की नई और आधुनिक परिभाषा दी। उस शिक्षा की वकालत की, जो समाज में सद्भावना और राष्ट्र निर्माण की भावना पैदा करें। मौलाना आज़ाद की अगुवाई में 1950 के शुरुआती दशक में ‘संगीत नाटक अकादमी’, ‘साहित्य अकादमी’ और ‘ललित कला अकादमी’ का गठन हुआ। इससे पहले वह 1950 में ही ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ बना चुके थे। वे भारत के ‘केंद्रीय शिक्षा बोर्ड’ के चेयरमैन थे, जिसका काम केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना था। उन्होंने सख्ती से वकालत की कि भारत में धर्म, जाति और लिंग से ऊपर उठ कर 14 साल तक सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद महिला शिक्षा के खास हिमायती थे। उनकी पहल पर ही भारत में 1956 में ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन’ की स्थापना हुई थी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी को एक दूरदर्शी विद्वान् माना जाता था, जिन्होंने 1950 के दशक में ही सूचना और तकनीक के क्षेत्र में शिक्षा पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। भारत के शिक्षामंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में ही भारत में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ का गठन किया गया था और शिक्षा में क्रांतिकारी विकास हुआ। अबुल कलाम जी पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में 1947 से 1958 तक देश की सेवा की। राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। आज उनके आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है।
मौके पर प्रधानाध्यापक शिवेन्द्र कुमार ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के मौके पर 11 नवंबर को “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। मौलाना आज़ाद देश के पहले शिक्षा मंत्री रहे। आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में 2008 से मनाया जाता है। आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। वे 15 अगस्त 1947 के बाद से 2 फरवरी 1958 तक पहले शिक्षा मंत्री रहे थे।
“राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” समारोह कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के पोषक क्षेत्र में प्रभातफेरी का आयोजन किया गया।
मौके पर पुष्पाजंलि अर्पित करने वालों में विद्यालय के शिक्षक अरविन्द कुमार शुक्ल, अनुज कुमार, सुरेश कुमार, जितेन्द्र कुमार मेहता, शिक्षिका खुशबू कुमारी, बाल संसद के प्रधानमंत्री रौशन कुमार, उपप्रधानमंत्री मेनका कुमारी, शिक्षामंत्री कुमकुम कुमारी, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मंत्री रिंकी कुमारी, जल एवं कृषि मंत्री मुस्कान कुमारी, सुरक्षामंत्री मोनी कुमारी,पुस्तकालय एवं विज्ञान मंत्री अरविंद कुमार, काजल कुमारी, नेहा कुमारी, रानी कुमारी, आरती कुमारी, वर्षा कुमारी, शोभा कुमारी, अंजनी कुमारी, निगम कुमार, प्रताप कुमार, चंद्रमणि कुमार, गुड्डू कुमार, नवलेश कुमार, सौरभ कुमार, उजाला कुमार, गौतम कुमार आदि सहित सैकड़ों छात्र-छात्रा मौजूद थे।