बेटे के शहादत की खबर माँ का हृदय नहीं कर सका सहन, शहीद इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार की माँ का निधन, अब एक साथ उठेगी अर्थी

पटना बिहार
जनादेश न्यूज़ बिहार
पटना : किशनगंज टाउन थानेदार अश्विनी कुमार की बंगाल के पांजीपाड़ा में मॉब लिंचिंग के दौरान हुई हत्या की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव पूर्णिया के जानकीनगर थाना क्षेत्र के पांचू मंडल टोला में मातमी सन्नाटा पसर गया है। हर कोई अपने गांव के लाल अश्विनी की मौत की खबर सुन स्तब्ध है। अश्विनी के पिता महेश्वरी प्रसाद यादव की 7 साल पहले ही मौत हो चुकी है। हार्ट पेशेंट मां को इंस्पेक्टर बेटे के शहीद होने की जानकारी नहीं दी गई है, क्योंकि वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेंगी। छोटे भाई प्रवीण कुमार उर्फ गुड्डू बड़े भाई का शव लाने किशनगंज के लिए रवाना हो गए हैं।
घटना से घरवाले और ग्रामीण काफी गमगीन हैं। अश्विनी के छोटे भाई की पत्नी पूनम कुमारी ने बताया कि सुबह 8 बजे के करीब मेरे पति के मोबाइल पर फोन आया कि मेरे जेठ की हत्या हो गई है। मेरी सास हार्ट की मरीज हैं, वह पांच दिन पहले ही अपने मायके रामपुर तिलक पंचायत गई हैं। उन्हें अभी घटना की जानकारी नहीं दी गई है। वह अपने बेटे के शहीद होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेंगी। पति की मौत के बाद से वह अक्सर बीमार रह रही हैं।
अश्विनी कुमार की बुआ अमीरका देवी बताती हैं अश्विनी काफी अच्छे व सबका ख्याल रखने वाला था। वह हर पर्व-त्योहार में सबकी खोज खबर लेते रहता था। आठ दिन पहले ही उससे फोन पर बात हुई थी। भरोसा ही नहीं हो रहा है कि उसकी इस तरह मौत हो जाएगी।
👉अश्विनी का परिवार रहता है पटना में
पूनम ने बताया कि पिछले तीन-चार सालों से अश्विनी कुमार का पूरा परिवार पटना के हनुमान नगर में किराए के मकान में रहता है। उन्हें तीन बच्चे हैं। पटना में उनकी पत्नी मीनू स्नेहलता, 15 साल की बड़ी बेटी नैंसी व 2 जुड़वां बेटा-बेटी ग्रेसी व वंश (उम्र करीब 6 साल) रहती हैं। बड़ी बेटी आठवीं की छात्रा है। पूरा परिवार पर्व-त्योहार, शादी-ब्याह के मौके पर गांव जरूर आता था। अंतिम बार पूरा परिवार 2019 में छठ के समय गांव आया था। कोरोना संक्रमण के बाद से उन लोगों का गांव आना थोड़ा कम हो गया था। घटना की खबर मिलते ही पूरा परिवार पटना से गांव के लिए रवाना हो गया।
वही,अचानक सब को घर पर देखकर शहीद अश्विनी कुमार की 70 वर्षीय माँ उर्मिला देवी लगातार परिजनों से सवाल पूछ रही थी। आखिर कब तक सच को छुपाया जाता। रविवार की सुबह जैसे ही माँ ने बेटे के शहादत की बात सुनी वो थोड़ी देर ख़ातिर चुप हों गई फिर बेटे का नाम जोर से पुकारा अश्विनी……….और फिर एक ओर लुढ़क गई। बेटे की शहादत की खबर सुनी वो यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई जबतक शोक संतप्त परिजन कुछ समझ पाते वो अंनत की यात्रा पर निकल चुकीं थी।
👉त्रासद ऐसी की एक साथ निकलेगी माँ बेटे की अर्थी
घर का लाल अश्विनी अपना सर्वस्व न्योछार कर कर्तव्य की बलिवेदी पर अमर शहीद हों गया तो वही दूसरी तरफ माँ अपने कलेजे के टुकड़े की असमय मौत का हृदयघात बर्दाश्त न कर सकी। महज 24 घण्टे के अंतराल पर एक ही घर से शहीद और उसकी मां दोनों की अर्थी एक साथ निकालने की तैयारी है। आज यानी रविवार को करीब 2 बजे गांव में ही दोनों का अंतिम संस्कार होगा।