नगर निगम बीमार या अफसर बीमार ? या केवल क्लीन देवघर के मेडल लेने का वो दौड़ था

झारखंड
जनादेश न्यूज़ झारखंड
देवघर ( ब्यूरो नवीन कृष्ण ) : अधिकारियों को ए./सी. में बैठने का मजा ही कुछ और है, हाल के कुछ महीनों पहले सरकार के द्वारा चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत क्लीन देवघर, ग्रीन देवघर के अभियान के तहत देवघर नगर निगम सभी जिलों में प्रथम स्थान देवघर के डिप्टी मेयर श्रीमती नीतू देवी जी को दिल्ली में मेडल मिला था, यह मेडल किसको, क्यों, कैसे, और किस लिए मिला, यह मेडल लेने वाला और देने वाला सरकार के अधिकारी ही बता पाएंगे, क्योंकि जनता तो यही जानती है कि डी.एम.सी. को क्लीन देवघर के लिए मेडल मिला था। यह तो बात हुई देवघर डी. एम. सी. के क्लीन देवघर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जीतने कि प्रशंसा। लेकिन देवघर डी. एम. सी. का एक और पहलू है, वह है हकीकत से कोसों दूर डी।एम.सी. के बीमार वाडों की हालत। वार्डों की हालत कैसी है यह वार्डों के निरिक्षण करने के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगा। जबकि निगम के अफसर केवल अपने-अपने ए./सी. केबिन में बैठकर कागज पर ही सारे कार्यों का संपादन कर देते हैं। अब कोई यह बताए कि बिना वार्ड का निरीक्षण किए वास्तविकता कैसे मालूम होगा ? कि वार्ड की जनता को क्या परेशानी हो रही है ? अफसर हैं कि ए./सी. केबिन से बाहर निकलकर जनता के बीच जाते ही नहीं हैं। डी. एम. सी. में पांच-पांच सिटी मैंनेजर पदस्थापित थे, जिनका तबादला कर दिया गया है। अभी विभाग में 5 नए सिटी मैंनेजर आपना योगदान दिये हैं। ये नए पांचों सिटी मैंनेजरों का विभाग मोबाइल नंबर जारी कर दिया है। जनता उस फोन नंबर पर संपर्क कर शिकायत कर सकती है। सिटी मैंनेजरों का मोबाइल नंबर इस प्रकार है :– ★मृणाल कुमार वार्ड नंबर 1 से 8 तक- मों. नं.= 54004 600 976,★मनीषा प्रियंका टोप्पो – 9 से 12 तक-मों. नं.= 9709 982 194,★सतीश कुमार दास -13 से 20 तक- मो. नं.= 797978 3891,
★उमाकांत कुमार- 21 से 28 तक- मो. नं.= 91177 16114,
★ निर्मल कुमार आशीश – 29 से 36 तक – मो. नं.= 91234 12067.है
अब देखें नए सिटी मैनेजर अपने-अपने विभागों को कैसे संभालते हैं। डी.एम.सी. के उच्च अधिकारियों का जिनमें नगर आयुक्त तक का फोन नंबर या मोबाइल नंबर तक ना तो विभाग के द्वारा नेट पे जारी किया गया है या सार्वजनिक रूप में ही। और तो और डी.एम.सी. के अपने कार्यालय का एकमात्र पुराना बी.एस.एन.ल. का लैंडलाइन नंबर नेट पर उपलब्ध है। लेकिन वह कई वर्षों से खराब पड़ा है, पूछने पर शायद डी.एम.सी. के अधिकारी भी नहीं बता पाएंगे। यह लैंडलाइन नंबर विभाग ने जनता के लिए ही जारी किया होगा। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह लैंडलाइन नंबर कभी खराब हो गया होगा जिसे डी.एम.सी. के अधिकारी बनवाना उचित नहीं समझ रहे होंगे, क्योंकि डी.एम.सी. के अधिकारी अपना या विभाग का नंबर जारी कर देंगे तो जनता उन्हें फोन पर ही शिकायत दर्ज करवाएगी, जिससे कि अधिकारी को बार-बार परेशानी होगी। और अधिकारी अपने ए./सी. चेंबर में आराम नहीं फरमा सकेंगे। अभी-अभी बीते कई पर्वों में,जैसे दुर्गा पूजा, दीपावली रहा और अब छठ भी बीतने वाला है लेकिन अभी तक साफ – सफाई के नाम पर शुन्य है,★ अब कहां गया वो क्लीन देवघर का मेडल इससे यह प्रतीत होता है कि, सरकार के मनसा को साकार करने के लिए यह मेडल नहीं मिला बल्कि, अधिकारी व डिप्टी मेयर अपनी व्यक्तिगत जीत व प्रतिष्ठा का मेडल लिया था और जनता को कूड़ा घर बनाकर अपने किस्मत पर छोड़ दिया गया है। बीच-बीच में डी.एम.सी. को बदनामी से बचाने के लिए क्लीन देवघर की याद आ जाती है, तो साफ -सफाई अभियान जोर पकड़ लेता है, नहीं तो कुछ वार्ड में तो महीनों कूड़ा का डंप लगकर नाला व सड़क जाम हो जाने से आम जनता नाक दबाकर ही गुजरती है। साहब, आम जनता कोई ए./सी. में नहीं चलती है, अधिकारी ही अपने ए./सी. चेंबर से निकलकर ए./सी. गाड़ी में चलते हैं जिससे कि हकीकत से रूबरू नहीं हो सकती वह केवल कागजी खानापूर्ति ही होगा ऐसा ही एक वार्ड नंबर 26 है, यहां पार्षद होते हुए भी पार्षद नहीं के बराबर ही है और ना ही विधायक, या फिर ना ही डी.एम.सी. का कोई अधिकारी ही है, लगता है यह वार्ड या तो उपेक्षित है या फिर निगम क्षेत्र के बाहर है वस्तु-स्थिति यही बताती है। नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों से मायूस होकर जनादेश न्यूज़ के संवाददाता से इसकी शिकायत वार्ड के आम लोगों ने की।