जमुई (उपेन्द्र तिवारी) : बिहार झारखंड राज्य की सीमा पर अवस्थित जमुई जिले के खैरा प्रखंड के खैरा बाजार में स्थित मां दुर्गा सर्व मनोकामना सिद्धि का केंद्र हैं। यहां का दुर्गा मंदिर ऐतिहासिक धार्मिक और पौराणिक महत्ता का केंद्र माना जाता है। 200 वर्षों से भी अधिक समय से इस मंदिर का इतिहास खैरा राज परिवार के राजा के किला के अंदर बने गहवर से जुड़ा हुआ है। साथ ही बगल में बना रानी तालाब का इतिहास भी इसी मंदिर से जुड़ा हुआ माना जाता है। दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां हर वर्ष माँ दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण कर पूरे भक्ति भाव के साथ पूजन किया जाता है। दुर्गा मंदिर परिषर के विशाल भूभाग में भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। जहां न केवल खैरा प्रखंड बल्कि जमुई जिला सहित आसपास के अन्य जिले के लोग भी माता दुर्गा के दर्शन करने के साथ ही मेले का लुफ्त उठाने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वर्गीय राजा धनेश्वर सिंह के पुत्र स्वर्गीय गुरुप्रसाद सिंह के द्वारा कराया गया था। इसका निर्माण खैरागढ़ के मुख्य द्वार के सामने किया गया था। जबकि गढ़ के अंदर ही गहबर की स्थापना की गई थी। ये मां की शक्ति की ही महिमा है कि राजा के किला के अंदर सभी भवन ध्वस्त हो चुके हैं। परंतु मां के गहवर का भवन अभी भी सुरक्षित है। जिसे स्थानीय लोगों द्वारा नए भवन में तब्दील किया जा रहा है। आज भी गहवर में ही कलश स्थापना की जाती है। खास बात यह है कि यहां नौ कलश की स्थापना की जाती है। राज्य काल के बाद यहां की जिम्मेवारी स्थानीय लोगों के जिम्मे है। यहां कलश स्थापना के दिन से ही भक्तगण अहले सवेरे रानी पोखर में स्नान कर दंडवत देते हुए माता के मंदिर तक जाते हैं। इसी गहवर से सप्तमी के दिन में मां बेलभरनी राजबाटी मंदिर जाती हैं और रात्रि में स्थापित होती हैं। नवमी के दिन हजारों बकरों की बलि प्रदान की जाती है। दुर्गा मंदिर खैरा में बरसों से पूजन का कार्य कराने वाले पुजारी प्रदीप आचार्य कहते हैं कि उनके पूर्वजों के काल से ही उनका परिवार इस मंदिर में पूजा करते आ रहा है। पंडित प्रदीप आचार्य के शब्दों में इस मां दुर्गा मंदिर में आज भी भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करते हैं उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है। दुर्गा माता के मंदिर में पूजन को आए कई भक्तों ने बताया कि वे लोग कई बरसों से दुर्गा पूजा के अवसर पर नौ दिनों तक अहले सवेरे रानी पोखर से स्नान कर दंडवत देते हुए माता के मंदिर में पूजन का कार्य करते हैं। उनके अनुसार मां दुर्गा उनलोगों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। भक्ति से बिभोर एक महिला श्रद्धालु ने कहा कि सच्चे मन से जी भी भक्त माता के दरबार में विश्वास के साथ मन्नत रखते हैं और मां का स्मरण करते हैं, मैया उनकी मनोकामना अवश्य पूरा करती हैं।