सुशासन सरकार के तानाशाह पुलिस की उदंडता और गुंडागर्दी की उपज है मुंगेर में हिंसा

मुंगेर
जनादेश न्यूज़ बिहार
पटना (राजीव रंजन) : 26 अक्टूबर की रात्रि जब सुशासन की तानाशाह मुंगेर पुलिस अपनी दरिंदगी का परिचय देते हुए गुंडागर्दी की भूमिका में थी. भारतीय संविधान के अनुसार पुलिस मैनुअल में पुलिस वालों को समाज में शांति बहाल करने के लिए एक बेहतर शांति दूत के रूप में जाना जाता है. बावजूद सुशासन की लाडली “लेडी सिंघम” का तमगा लेने वाली मुंगेर की तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह जिसने जनरल डायर की भूमिका में निहत्थे लोगों पर पहले तो लाठियों से बार करवाया बाद में गोलियां भी चलवा दी. इसी दौरान दुर्गा मूर्ति विसर्जन जुलूस में शामिल अल्प वयस्क अभिमन्यु को पुलिस के महारथी गुंडों ने घेर कर मार डाला था. अनुराग और अभिमन्यु में ज्यादा अंतर भी तो नहीं है जिस प्रकार से महाभारत की लड़ाई में उन कौरवों और मुंगेर की क्रूर हत्यारन पुलिस में.जब लाठी-डंडों से पीटने पर मन नहीं भरा तो मैडम का आदेश आया होगा की गोली चलाओ हम देख लेंगे.
दुर्गा मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान अनुराग की मौत होने के बाद पूरा मुंगेर शहर भीतर ही भीतर पूर्णरूपेण सुलग रहा था शायद केवल इंतजार था लोकतंत्र के महापर्व का फिर क्या था भला जनता भी मानने वाली कहां थी. 28 अक्टूबर को लोकतंत्र का महापर्व था लोकतंत्र के महापर्व के दिन बेचारी भोली-भाली जनता शांतिपूर्ण तरीके से मतदान को संपन्न करवा दी. मतदान के अगले दिन पूरा मुंगेर शहर धू-धू कर जलने लगा लेडी सिंघम के नाम से मशहूर एसपी लिपि सिंह के ऑफिस में भी जनाक्रोश भड़क गया जहां पत्थरबाजी और आगजनी के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी भी की गई. इतना ही नहीं जनाक्रोश के सामने अराजकता के माहौल को देखते हुए थानों के थानेदार और सिपाही जी तो दुम दबाकर लॉकर में बंद हो गए क्योंकि मुंगेर शहर की हर गलियों एवं चौक चौराहों से बस केवल और केवल एक आवाज आ रही थी अनुराग को न्याय दो लिपि सिंह को बर्खास्त करते हुए दोषी पुलिस प्रशासन पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करो. कार्रवाई नहीं होने के कारण लोग नाराज हो गए और सड़क पर उतर कर सरकारी कार्यालय तक आगजनी पत्थरबाजी और प्रदर्शन किया. अगर मुंगेर में जन आक्रोश पनपने की बात करें तो इसके मुख्य जनक मुंगेर की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह को जाता है जिसने सत्ता संरक्षण के रौब में उन निहत्था को भी नहीं बख्शा जो शांतिपूर्ण तरीके से दुर्गा मूर्ति जुलूस में शामिल हो रहे थे. और मुंगेर में हिंसा सुशासन सरकार की तानाशाह पुलिस के उदंडता और गुंडागर्दी की उपज है जिसने मुंगेर शहर ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में अराजकता का माहौल कायम कर दिया.