नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) : प्रधान डाकघर नवादा में 5 . 57 करोड़ के घोटाला मामले में छह माह से फरार चल रहे कैशियर अंबिका चौधरी ने सोमवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है । हालांकि इस मामले में एक अन्य आरोपित तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद अब भी फरार चल रहे हैं। खबर है कि अंबिका चौधरी ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की बात सामने आने के बाद सरेंडर किया है। पिछले 6 महीने से फरार चल रहे कैशियर के सरेंडर करने में सबसे बड़ी बात यह है कि उसने 4 नवंबर को इतने गुपचुप तरीके से सरेंडर किया जिसकी भनक न तो पुलिस को लगी और न ही डाक विभाग को। बताया जा रहा है कि सरेंडर के दो दिन बीत जाने के बाद मीडिया से मिली खबर के बाद पुलिस और डाक विभाग हरकत में आई है। अंबिका चौधरी नवादा प्रधान डाकघर में खंजाची था। उसपर डाकघर का 5.57 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है। बता दें कि अप्रैल माह में कैशियर का तबादला हो गया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी प्रभार नहीं सौंप रहा था। प्रभार सौंपने में विलंब के बीच अप्रैल माह के अंत में विभागीय अंकेक्षण शुरू हुआ। इस दौरान पाया गया कि बैंक से निकाली गई राशि को पंजी में नहीं दर्शाया गया था। मई माह में दो करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ। मामला समाने आने के बाद डाक अधीक्षक द्वारा तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद व कैशियर को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद तत्कालीन डाक अधीक्षक बिनोद कुमार पंडित द्वारा मामले की जांच के लिए सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार के नेतृत्व में टीम का गठन किया। सहायक अधीक्षक के नेतृत्व में टीम ने मामला की जांच की तो जांच के दौरान मामला सत्य पाया गया था। गबन की राशि इसके साथ ही 5.57 करोड़ तक हो गई थी बाद में करीब ढाई करोड़ रूपया जमा कर दिया गया था ढाई करोड़ राशि जमा की गई थी शेष बचे राशि जमा नहीं की जा सकी थी जांच रिपोर्ट के आधार पर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया गया था।