16 साल की उम्र में ही सूरज सिंह ने लिख डाली 128 कविताएं

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नवादा ( रवीन्द्र नाथ भैया) : कहते हैं अगर आपके मन में कुछ करने का जज्बा हो तो वह फलीभूत होते देर नहीं लगती। हां, इसके लिए एकाग्र होकर आपको मेहनत जरूर करनी पड़ती है। जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत ओढ़नपुर के नवोदित कवि सूरज सिंह ने महज 16 वर्ष की आयु में ही हिदी साहित्य जगत में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। वह पहचान है हिदी कविताओं का लेखन व गायकी की।
अपनी इस छोटी सी उम्र में ही इन्होंने अब तक 128 कविताएं लिख डाली है। इसीलिए, कृपा, धुआं, चावल, पहला, शुरूआत, आरंभ, विश्वास, पन्ना, नई, मटका, बल, राम, अल्लाह आदि शीर्षक की इनकी कविताएं लोगों को पसंद आ रही है। इन सारी कविताओं का संग्रह सूरज ने हाल ही में प्रकाशित क्यों ? दास्ता खोज की पुस्तक में की है। यह पुस्तक 120 पन्नों की है। इनकी सभी कविताओं का मूल उद्देश्य व्यक्ति के मन में उठने वाले सभी सवालों के समाधान से जुड़ा हुआ है। कई कविताएं मनुष्य के जीवन में प्रेरणा भी देती है। इनकी रचनाओं की खासियत यह है कि कविताओं के शुरूआती पंक्ति समाधान की ओर ले जाते हैं। जबकि अंतिम की दो-चार पंक्तियां क्यों के जरिए सवाल पैदा करती है।
नवादा में ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल से 97 फीसद अंकों के साथ दसवीं बोर्ड की परीक्षा पास करने के बाद सूरज सिंह इन दिनों यूपी के प्रयागराज में रहकर इंटर की पढ़ाई कर रहे हैं। वे विज्ञान के छात्र हैं। विज्ञान विषय में गहरी रुचि रखने के साथ-साथ इनकी हिदी साहित्य में भी जबर्दस्त रुचि है। हर रोज इसके लिए वह समय निकालते हैं। इनकी लगन व मेधा के चलते सूरज को प्रयागराज टॉपर का खिताब एक स्थानीय अखबार की ओर से दिया गया है।
इनके पिता सुशील सिंह प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हैं। जबकि माता प्रियंका देवी गृहिणी हैं। सूरज सिंह हिदी के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को अपना आदर्श मानते हैं।
सूरज सिंह की हिन्दी साहित्य से जुड़ी एक खासियत यह भी है कि यह अपनी कविताओं को बड़े ही सुंदर अंदाज में रागात्मक धुन में गाते भी हैं। इनकी रचनाओं को सुंदर कंठ से सुनकर इनके श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
सूरज बताते हैं कि अपनी कक्षा की पाठ्यक्रम से जुड़े विषयों के साथ ही हिदी साहित्य की उनकी यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी।