हाईकोर्ट ने उत्पाद विभाग के मुख्य सचिव को तलब किया,18-25 साल के युवाओं का ब्यौरा पेश करें’

पटना
जनादेश न्यूज़ पटना
पटना हाईकोर्ट ने मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव से बिहार में शराबबंदी कानून के अंतर्गत की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने काजल कुमारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया, “शराबबंदी कानून के तहत की गई कार्रवाई में अब तक जेल जा चुकीं महिलाओं और 18-25 साल के युवाओं का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाए।” दरअसल, कोर्ट बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम की धारा 30(ए) के तहत दर्ज मामले में जेल में बंद काजल कुमारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट चंदन कुमार कश्यप वकील ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता दिनांक 21.02.2022 से जेल में बंद है। वह स्वच्छ पूर्ववृत्त वाली व्यक्ति है। इस मामले में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है और वह एक महिला है। याचिकाकर्ता पर आरोप है कि प्रियरंजन सिंह उर्फ छोटी सिंह के घर से 83.865 लीटर शराब बरामद किया गया है और याचिकाकर्ता (काजल कुमारी) को गिरफ्तार किया गया, जो घर में ही थी और काजल कुमारी प्रियरंजन सिंह उर्फ छोटी सिंह की पत्नी हैं।
एडवोकेट चंदन कुमार ने निवेदन करते हुए प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता, एक महिला और एक साफ-सुथरी गृहिणी होने के नाते, मामले में केवल इसलिए फंसाया गया है क्योंकि कथित तौर पर घर से कुछ मात्रा में शराब मिली थी। एडवोकेट ने आगे प्रस्तुत किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दिन से यह निषेध कानून लागू हुआ, उस दिन से 18 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के कई महिलाओं और युवा लड़कों को पहले अपराधी होने के बावजूद सामूहिक रूप से गिरफ्तार किया गया है।
एडवोकेट चंदन कुमार ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस कानून के कारण बड़ी संख्या में निर्दोष महिलाओं और युवा लड़कों को गिरफ्तार किया गया है और यह भी लगता है कि आबकारी अधिनियम जैसे छोटे अपराधों में कैद के कारण युवा लड़कों की एक पूरी पीढ़ी का भविष्य खराब हो जाएगा। और उनमें से ज्यादातर पहली बार अपराधी हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कानून के उद्देश्य पर टिप्पणी करेत हुए प्रस्तुत किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिस उद्देश्य के लिए कानून बनाया गया था, वह प्रभावशाली उम्र के युवाओं के रूप में पूरा नहीं किया जा रहा है, जो आकर्षक परिणामों के कारण कानून का उल्लंघन करने में लिप्त हैं। प्रतिवादी राज्य की ओर से पेश एपीपी चंद्र भूषण प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता हिरासत में है। वह एक साफ-सुथरी पृष्ठभूमि वाली व्यक्ति है और इस मामले में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को 1000 रुपए का निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट चंदन कुमार कश्यप पेश हुए और प्रतिवादी राज्य की ओर से एपीपी चंद्र भूषण प्रसाद पेश हुए।