विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन पर वेबिनार का किया गया आयोजन

शेखपुरा
जनादेश न्यूज़ शेखपुरा
शेखपुरा : विश्व स्तनपान सप्ताह के समापन समारोह के अवसर पर समेकित बाल विकास योजना शेखपुरा एवं पिरामल फाउंडेशन के द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया ।इसमें मुख्य रूप से सभी महिला पर्यवेक्षिका , सेविका बि टी ओ एवं प्रखंड एवं जिला स्तरीय कर्मियों ने भाग लिया। जिसकी अध्यक्षता जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आईसीडीएस तृप्ति सिंह ने किया ।मां के दूध की महता को बताते हुए श्रीमती तृप्ति सिन्हा ने सभी सदस्यों को शपथ दिलाई की वह अपने घर एवं समाज के बच्चों को 6 महीने तक केवल स्तनपान और 6 महीने के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार संग स्तनपान कराने का बढ़ावा देने का काम करेंगे। कोरोना महामारी के काल में स्तनपान की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। मां को कोविड-19 होने पर भी स्तनपान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। मां का दूध नवजात के जीवन को बेहतर बनाता है और जीवन भर उसके अच्छे स्वास्थ्य और सही शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करता है यहां तक कि स्तनपान कराने से मां के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।पिरामल फाउंडेशन के जिला प्रतिनिधि विशाल कुमार ने बताया कि ” स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प” विषयक इस वर्ष के विश्व स्तनपान सप्ताह (1 अगस्त से 7 अगस्त ) का थीम था। स्तनपान के इस वर्ष के थिम के उद्देश्य की पूर्ति हेतु शिशु के जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पाला गाढ़ा दूध पिलाने, माता द्वारा जन्म के पश्चात सिर्फ स्तनपान कराने को विशेष बल देने की आवश्यकता है। कंगारू मदर केयर और गृह आधारित नवजात की देखभाल के बारे में जागरूक करना और उनको प्रेरित करना है ।इस वेबीनार में महिला पर्यवेक्षिका आंगनवाड़ी सेविका वीडियो पीरामल फाउंडेशन एवं जुड़े हुए समस्त कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पिरामल फाउंडेशन जिला प्रतिनिधि विशाल कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस के महामारी के दौर में मां के दूध की महता और भी अधिक हो जाती है क्योंकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जहां एक ओर यह बच्चे के सर्वांगीण मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ाता है वही दूसरी ओर इससे शिशु एवं बाल मृत्यु दर पर भी प्रभाव पड़ता है ।आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता है उनमें नवजात मृत्युदर की संभावना 33% अधिक होती है उन सीटों के सापेक्ष जिनको जन्म के 1 घंटे के बाद 24 घंटे के पहले स्तनपान की शुरुआत कराई जाती है। अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि कोविड-19 वायरस मां के दूध से शिशु में पहुंच सकता है । स्तनपान के दौरान मां को सावधानी बरतने की बेहद आवश्यकता है जैसे कि स्तनपान के दौरान मां मां ने यदि मां को खांसी है और उसने छाती की ओर मुंह करके खासा है तो ऐसी स्थिति में स्थान और छाती को धोए वरना हर बार स्तनपान कराने से पहले स्तन को धोने की आवश्यकता नहीं है मां का निकाला हुआ दूध बच्चे को पिलाएं जम्मा स्तनपान कराने की स्थिति में हो तब दोबारा से स्तनपान कराना शुरू कर दें ।दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथों को साबुन से कम से कम 40 सेकंड तकसाफ करना तथा चेहरे नाथ एवं मुंह पर मास्क लगाना यदि मां अपना दूध पिलाने में बिल्कुल समर्थ नहीं है तो उस दशा में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से मां के दूध को एक साफ कटोरी में निकालते हुए उसे चम्मच से पिलाया जा सकता है लेकिन इसे मां को स्तन और हाथों की अच्छी तरह से सेनीटाइज करना जरूरी है । यदि मां स्तनपान नहीं करा सकती है तो वह अपना दूध साफ कटोरी में निकाल सकती है साफ कब या चम्मच से बच्चे को दूध पिला सकती है।या नहीं किसी भी स्थिति में मां के दूध की प्राथमिकता सर्वोपरि है । बोतल से दूध पिलाना हमेशा ही हानिकारक है साथ ही बंद डब्बे का दूध इसे किसी भी स्थिति में ना पिलाने की सलाह दी जाती है। कुपोषण से बचाने के लिए जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान प्रारंभ कराया जाए ।छ माह तक केवल स्तनपान कराया जाए और शिशु के छह माह पूरे होने पर मां के दूध के साथ ऊपरी आहार देना प्रारंभ किया जाए। 2016 की लैन सेट की रिपोर्ट के अनुसार अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की वृद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिए प्राप्त होता है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है । साथी शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम ऋतु की संभावना होती है। एनएफएचएस 4 के आंकड़ों के अनुसार जिले में केवल 41 .1% बच्चों को ही जन्म के 1 घंटे के दौरान दूध पिलाया जाता है । कहीं ना कहीं कुपोषण को बढ़ावा देता है।