लोग बोल रहे हैं नीतीश को योगी मॉडल अपनाने,लेकिन नीतीश कुमार तो योगी जी से बहुत पहले अपराध को कुचल चुके थे, तरीका अलग था। क्या फिर से आरंभ करेंगे ‘ऑपेरशन गंगा-स्नान’?

बिहार
जनादेश न्यूज़ बिहार
पटना : बिहार में लगातार बढ़ रहे अपराध के बीच रूपेश सिंह की हत्या ने जनता का विश्वास कानून पर डिगा दिया है। सरकार व पुलिस प्रशासन से बड़ा प्रश्न है कि क्या यह घटना बिहार में लॉ एंड ऑडर को लेकर टर्निंग प्‍वाइंट हो सकता है? क्या नीतीश सरकार अपराधियों के खिलाफ वैसा ही अभियान फिर से चलाएगी जैसा 2005 में सत्ता में आने के बाद चलाया था?
गंगा-स्नान की मांग जोरों पर।
दरअसल, समाज के कई वर्गों से मांग उठ रही हैं कि क्या नीतीश सरकार भी यूपी की योगी स्टाइल में अपराध को काबू करने को एनकाउंटर की खुली छूट देगी. लेकिन, बड़े स्तर पर बहुत कम लोग ये जानते हैं कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के सालों पहले नीतीश कुमार ने बिहार में अपराध की चूलें हिला कर रख दी थी। जब हाईकोर्ट ने बिहार में शासन व्यवस्था को जंगलराज कह दिया था. साल 1990 से लेकर 2005 तक लालू एंड फैमिली का शासन रहा. इस दौरान राजनीति और अपराध में तालमेल के पूरे सबूत जनता को दिखते रहे. रंगदारी व किडनैपिंग जैसे अपराध आम हो गए थे. ऐसे ही हालात को देख पटना हाईकोर्ट ने शासन को ‘जंगलराज’ कहा था. लोगबाग फिर से कहने लगे हैं कि आज उसी काले दौर की पुनरावृत्ति हो रही है।
नीतीश राज में चला था अपराधियों के खिलाफ ‘गंगा स्नान’!
इसी दौर में आरजेडी शासनकाल से त्रस्त बिहार की जनता ने साल 2005 में सत्ता की कमान सीएम नीतीश कुमार के हाथों में दे दी. नीतीश भी जनता की आशाओं पर खरे उतरे और शुरू हुआ दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ ‘गंगा स्नान’. गौरतलब है कि सीएम नीतीश के पहले के कार्यकाल के दूसरे साल यानी 2006 में बिहार पुलिस ने ऑपरेशन ‘गंगा स्नान’ चलाया था. बता दें कि यह एक अत्यंत गोपनीय अभियान था, जिसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिलेगा. ना ही तब के न्यूजपेपर में कोई खबर छपी थी, ना हाई कोर्ट ने सब जानते हुए कोई टिप्पणी की थी।
कैसे होता था ऑपरेशन गंगा स्नान? इस नाम के पीछे क्या कारण?
तब के पत्रकारों को अंदरूनी जानकारी मिली होगी बाद में और कई वर्षों बाद इस बारे में बहुत कुछ लिखा भी गया। पटना में जो लोग राजनीतिक सर्कल्स में थे या पुलिस विभाग से निजी संपर्क में थे। उन्हें सब पता था, की कैसे 2006 में नीतीश कुमार ने हर जिले के टॉप 100 अपराधियों की लिस्ट तैयार करने को कहा था। उसके बाद पुलिस वाले सादे कपड़ों में इन अपराधियों को इनके अड्डे से मुखबिर की खबरों पर उठाते और फिर ऐसे अपराधियों का कोई अता पता नही चलता। कहते हैैं, ऐसे कई अपरााधियो को एनकाउंटर के बाद गंगा की धार में फेंक दिया जाता था, जिससे कोई सबूत न रहे और न मानवाधिकार की कीच कीच।
किन अधिकारियों के हाथ में थी इस सीक्रेट ऑपेरशन की जिम्मेदारी?
कुछ लोग ये भी कहते हैं कि इन एनकाउंटरों को करने के लिए मुम्बई पुलिस की कुछ टीमें अनाधिकारिक स्तर पर आयी थी। वैसे बिहार पुलिस में इस पूरे ऑपरेशन की कमान जिस पुलिस अधिकारी के हाथ में थी उसे KK के नाम से जानते हैं और ये अधिकारी आज भी बिहार पुलिस के एक उच्च पद पर आसीन हैं। एक और ऑफिसर थे सुधीर, इनके लात-घुसे आज भी सिवान का आतंक कहे जाने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन को पुरविया चलने पर दर्द में याद आते होंगे। दरसल जब मोहम्मद शहाबुद्दीन को गिरफ्तार कर एक थाने लाया गया था तो वो खूब नखरे दिखा रहा था। पुलिस वालों को धमकी दे रहा था। तब शायद सुधीर इंसपेक्टर थे, उन्होंने इस तथाकथित डॉन को ऐसे कूटा था कि उसकी सारी हेंकड़ी शांत हो गयी थी।
बिहार के दुर्दांत अपराधियों का हुआ था अंत।
इस ऑपरेशन गंगा स्नान के तहत दुर्दांत अपराधियों के गुर्गों का का सीधे एनकाउंटर किया जाता था और गैंग की ताकत खत्म होने के बाद उनके सबसे बड़े आकाओं को जेल में डाल दिया गया। आकाओं को मारना राज्य का माहौल ज्यादा बिगाड़ सकता था, क्योंकि ये सब अपने इलाके की मूर्ख जनता के लिए माई-बाप थे। इन ऑपरेशनों को गोपनीय तरीके से अंजाम दिया जाता था. इसलिए उस दौरान कितने अपराधियों को खत्म किया गया, इसके आंकड़े नहीं दिए जा सकते. लेकिन, सार्वजनिक तथ्य है कि उस दौरान बिहार के बड़े अपराधी या तो ढेर कर दिए गए या फिर उन्होंने दूसरे राज्यों में शरण ले ली थी.
बड़े-बड़े अपराधी भी सलाखों के पीछे।
नीतीश सरकार ने जिन बड़े अपराधियों का खत्मा किया इनमें गुड्डू शर्मा को बिहार पुलिस ने दिल्ली में मार गिराया तो हत्यारे अमरेश सिंह को खगड़िया जिले में मार गिराया गया था. इसके अलावा बिंदु सिंह को पकड़कर पुलिस ने जेल में डाला. बिहार का डॉन कहे जाने वाले आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन आज भी जेल की सलाखों के पीछे हैं. उस दौर में बबलू सिंह, अमरेश सिंह, गुड्डू शर्मा, अनंत सिंह समेत कई ऐसे नाम थे, जिनके नाम से पुलिस भी कांपती थी. अब इन सभी पर नकेल कसी गई और सभी को जेल की हवा खानी पड़ी.
इस मामले में योगी मॉडल से भी अच्छी थी ‘गंगा-स्नान’
योगी सरकार में एनकाउंटर खुले में हुए, सबको पता चलता रहा मानवाधिकार वाले चिल्लाते रहे। कोर्ट ने भी दबाव में सरकार पुलिस को लपेटा। यूपी पुलिस के अधिकारियों पर केस भी हुए। इससे अलग बिहार पुलिस के ऑपेरशन गंगा स्नान में कोई शोर शराबा नही हुआ और काम भी हो गया।
सुशासन की पहचान थी अपराधियों के नाक में नकेल।
नीतीश सरकार का अपराधियों पर यह नकेल 2013 तक बदस्तूर जारी रहा, लेकिन 2013 में नीतीश के बीजेपी से अलग होने के बाद एक बार फिर अपराधियों का मनोबल बढ़ गया था. हालांकि एक बार फिर बिहार में 2017 से 2020 तक लगभग एक दर्जन अपराधियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. बता दें कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ सख्ती सीएम नीतीश की यूएसपी है, जिसको लेकर सीएम नीतीश की आज भी तारीफ होती है और इसी छवि की वजह से वे पिछले 15 वर्षों से सत्ता पर काबिज हैं.
बीजेपी सांसद ने की कानून बदलने की मांग।
बहरहाल, रूपेश सिंह हत्याकांड के बाद वर्ष 2005 में बहादुर गुमटी पर एयरटेल जीएम की हत्या की खौफनाक मंजर की यादें ताजा हो गईं. सरकार द्वारा अपराधियों को बिल से निकाल कर फन कुचलना चाहिए. बीजेपी के सांसद जनार्दन सिग्रीवाल ने कहा कि इस मामले में प्लानर का पकड़ा जाना बेहद जरूरी है. अगर कोई अपराध करता है तो उसमें यह खौफ भी होना जरूरी है कि उसे कठोर सजा मिलेगी.
सिग्रीवाल ने कहा, मैं तो कहूंगा कि अपराधियों को चौक-चौराहों पर टांग करके गोली मार देनी चाहिए. हालांकि, क्‍या कानून इसकी इजाजत देता है, इसे भी देखा जाना चाहिए. अगर नहीं देता है तो कानून में परिवर्तन करने की आवश्यकता हो तो करना चाहिए. किसी भी सूरत में ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. अब देखना है नीतीश कुमार कब ऑपेरशन गंगा स्नान के अगले चरण को आरंभ करते हैं।