मुख्यमंत्री के नालंदा में कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला,पारदर्शिता से घोटाले की जांच में जिला कृषि पदाधिकारी की भूमिका संदिग्ध, 1 माह पूर्व ग्रामीणों के आवेदन पर जांच अधूरा

नालंदा बिहार शरीफ
जनादेश न्यूज़ नालंदा
बिहारशरीफ (राजीव रंजन कुमार) : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्राइम,करप्शन और कम्युनलिज्म से किसी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं. खासकर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री के द्वारा जीरो टॉलरेंस की नीति कार्य करती है. भ्रष्टाचार के मामलों पर सीएम भी गंभीर रहते हैं. जिसका नतीजा यह है कि बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है.
लेकिन कार्रवाई के बावजूद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में कृषि विभाग में बड़ा घोटाला सामने आ रहा है.सरकारी राशि को कर्मियों की मिलीभगत से शुभ-लाभ के चक्कर में पानी की तरह बहाया गया है. नालंदा में कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के सिर पर पर बिचौलियों के द्वारा इस तरह से चांदी का जूता मारा गया है कि चांदी के जूते की मार से कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के मुंह से जरा सा आह भी नहीं निकल रहा है.
बिहार सरकार किसानों को खुशहाल करने के लिए एवं किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए योजनाएं लाती है. लेकिन योजनाएं धरातल पर किसानों के पास नहीं पहुंच कर कृषि विभाग के अधिकारियों, कर्मियों और बिचौलियों के बीच में रहकर ही दम तोड़ देता है और योजना की राशियों का बंदरबांट भी कर लिया जाता है. जबकि विभागीय कागजात पर योजनाओं का लाभ देने के नाम पर किसानों को ही बलि का बकरा बनाया जाता है.जिसका जीता जागता उदाहरण नालंदा जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के तिउरी गांव में देखने को मिल रहा है. इस गांव में कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की कृपा दृष्टि इस कदर बरकरार है कि यहां कृषि से संबंधित योजनाओं का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा बल्कि अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से कृषि विभाग के अधिकारी और बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं.
👉कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों का कारनामा जानकर चौंक जाएंगे आप
नालंदा जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के तिउरी गांव में कृषि विभाग के कर्मी की मिलीभगत से कृषि इनपुट अनुदान में 50% कमीशन पर खेल खेला गया है. तिउरी पंचायत को कृषि इनपुट अनुदान के लिए चयनित किया गया था. कृषि इनपुट अनुदान के लिए चयनित होने के बाद कृषि विभाग के कर्मियों ने इस पंचायत में खेल शुरू कर दिया. हकीकत तो यह है कि जिस किसान के पास रहने के अलावे खेती युक्त सुई की नोक भर भी जमीन नहीं है उन्हें भी कृषि इनपुट अनुदान के नाम पर हजारों रुपयों का लाभ दिया गया है. इतना ही नहीं जिन किसानों को गैर रैयत किसान बताया गया है हकीकत में वैसे तथाकथित किसान कोई दिल्ली, मुंबई, पंजाब, एवं अलग-अलग शहरों में कार्य करता है. कृषि विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से 50% कमीशन लेकर वैसे तथाकथित किसानों को लाभ दिया गया जो अपने आपको अपने पिता का बटाईदार बताते जबकि हकीकत तो यह है कि उसके पिता के नाम से ही कृषि युक्त सुई की नोक पर भी जमीन नहीं है.आखिर पिता के नाम से सुई की नोक पर भी जमीन मौजूद नहीं है बावजूद अपने पिता का ही बटाईदार कैसे बना ? इतना ही नहीं कृषि इनपुट अनुदान में कर्मियों ने इतना वरदान दिया की आजीवन घर के अंदर रूम में रहने वाली महिलाएं भी गैर रैयत धारी किसान बनकर कृषि इनपुट अनुदान का लाभ लिया. जबकि उनके पूरे परिवार में रहने के अलावे कोई कृषि युक्त भूखंड उपलब्ध नहीं है.
👉400-600 डिसमिल में कृषि इनपुट अनुदान लेने के बावजूद 400-600 डिसमिल में उपजाया लहलहाती धान का फसल
जिन तथाकथित किसानों ने कृषि इनपुट अनुदान में कर्मियों की मिलीभगत से हजारों का लाभ लिया उनके द्वारा ही पैक्स में 90-100 क्विंटल तक धान बेचा गया है. जिन तथाकथित किसानों ने कृषि इनपुट अनुदान का लाभ लेने के समय 400-600 डिसमिल तक नुकसान का आवेदन किया उनलोगों ने ही 400-600 डिसमिल में लहलहाती धान का फसल उपजाया है.
👉जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया आवेदन कोसों दूर है कार्रवाई
गांव के किसानों ने नालंदा के जिला कृषि पदाधिकारी को इस संबंध में जांच कर कार्रवाई करने का आवेदन दिया था. भला साहब ने आवेदन देने के दौरान किसानों को आत्मबल के साथ कार्रवाई का भरोसा भी दिया. और आज लगभग आवेदन देने के 20 दिन बीत रहे बावजूद किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हो रही है. आखिर अपने अंतरात्मा में भी झांककर जिला कृषि पदाधिकारी देखेंगे तो वह भी इस भ्रष्टाचार में सम्मिलित नजर आएंगे इस बात का प्रमाण साफ तौर पर झलकता है क्योंकि इस मामले के जांच का जिम्मा जिस अधिकारी को सौंपा गया था उनका यहां से स्थानांतरण हो चुका है. क्योंकि साहब के सर पर भी चांदी का जूता लगा हुआ इसलिए वह नहीं चाहते कि पारदर्शिता से इसकी जांच हो.
कृषि घोटाले की एपिसोड लगातार जारी है…..