नालन्दा के साहित्यकारों व कवियों को सम्मानित किया गया,सम्मान समारोह सह कवि सम्मेलन का आयोजन

पटना
जनादेश न्यूज़ पटना
बख्तियारपुर : रविवार को स्थानीय आदर्श मध्य विद्यालय, बख़्तियारपुर के सभागार में “अभिनंदन समारोह-सह-कवि सम्मेलन” का आयोजन किया गया। साहित्यसेवी कवि जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’ के संयोजन में तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० मुचकन्द शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन युवा कवि एवं साहित्यकार अमित कुमार कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.विष्णुदेव प्रसाद यादव,व विशिष्ट अतिथि “शंखनाद” के अध्यक्ष प्रो.डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, लघुकथाकार डॉ. रामयतन यादव और गीतकार मुनेश्वर शमन थे।
मौके पर हिंदी, मगही साहित्यकार मशहूर गीतकार शिक्षाविद रामाश्रय झा को अंगवस्त्र व फूलमाला पहना कर सम्मानित किया गया।
मौके पर कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि व साहित्यसेवी जैनेंद्र कुमार ‘रवि’ ने प्रकांड साहित्य के विद्वान गीतकार रामाश्रय झा के जीवनकाल में किये गए कार्यों पर प्रकाश डाला। कवि सम्मेलन की पहली श्रृंखला में वरीय गजलकार छन्दराज, मशहूर अंतरराष्ट्रीय मशहूर शायर बेनाम गिलानी ने अपनी गजल व शायर से लोगों को खूब मनोरंजन किया।
साथ ही साथ कवि सम्मेलन में अपनी समकालीन कविता “जीवन पथ की डगर पुराणी सुख और दुःख इसके साथी हैं,
संघर्षरत रहे हम जीवन में लक्ष्य हमें अब अपनी पानी हैं।बड़ी दूर है लक्ष्य अपनी लंबा बड़ा है पुराना रास्ता,चलता रहे बस तू अपना रास्ता
पाकर लक्ष्य तू अपना सस्ता।” सुनाकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया।
हिन्दी एवं मगही भोजपुरी के लोकप्रिय साहित्यकार व गीतकार डॉ लक्ष्मीकांत सिंह ने वर्तमान समय की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए अपनी कविता सुनाया “इन्द्रप्रस्थ की शीर्ष राजसभा,आज फिर बैठी है हो मौन ।
द्रौपदी नंगी खड़ी बीच सभा में,उसकी रक्षा अब करेगा कौन ? अंधा बना बैठा राजा सत्ता मद में,
दुष्ट-अपराधी सब दुशासन संग।
न्याय की देवी पड़ी है कैद में।नीरीह की आह,अब सुनेगा कौन?
सियारों के पहरे में,शेर बंद है,बाकि जीव बन गए हैं बौन ।चोर-चूहों के शिकारी पंजों से,जंगल सुरक्षा अब करेगा कौन?”
आयोजित कार्यक्रम में सरस्वती शिशु मंदिर की छात्राओं द्वारा स्वागत गान गाया गया। इस अवसर पर कवि एवं संझावाती पत्रिका के
संपादक हेमंत कुमार, राजकिशोर उन्मुक्त, मुनेश्वर शमन, अरशद रजा, प्रमोद अंजन, मशहूर गजलकार नवनीत कृष्ण,समेत कई
साहित्यकार एवं कवियों ने काव्य पाठ कर अपना उद्गार व्यक्त किया।
समारोह में युवा कवि जैनेंद्र कुमार ‘रवि’ तथा साहित्यसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने प्रख्यात हिंदी-मगही साहित्यकार व गीतकार रामाश्रय झा जी के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि राजभाषा हिन्दी एवं मातृभाषा मगही की सतत् एवं सुदीर्घ सेवा करने वाले सरस्वती के वरद्पुत्र, सहस्त्राधिक सुमधुर गीतों के रचयिता कवि-गीतकार तथा उत्कृष्ट लेखक-समीक्षक एवं संपादक की बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न वरेण्य विद्वान डॉ. रामाश्रय झा की महती साहित्य-साधना के सम्मानस्वरुप उनके पावन-प्रणम्य श्रीचरणों में सादर-सश्रद्ध समर्पित मेरे तरफ से अभिनंदन पुष्प।
झा जी आज के वर्तमान समय में लब्धप्रतिष्ठित शिक्षक मनीषी हैं । इनका जन्म पटना जिले के बख़्तियारपुर प्रखंड के अंतर्गत तथा नालंदा जिले के प्रखंड मुख्यालय हरनौत के समीप स्थित ग्राम मिसी की पावन धरती पर 28 नवंबर 1955 को जन्म हुआ। अपने पिता स्व. पं. कुशेश्वर झा तथा माता स्व. शारदा देवी की प्रेरणा से सात्विक संस्कार ग्रहण करने के साथ ही ये उच्च शिक्षा की प्राप्ति भी की। हिन्दी से एम.ए. करने के उपरांत आपने “बिहार के आधुनिक गीतकार” विषय पर शोध करते हुए पी-एच.डी. की उपाधि अर्जित किया। शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ इनकी प्रवृत्ति शिक्षादान की ओर भी प्रवृत्त होती चली गयी। मात्र 19 वर्ष की अवस्था में जुलाई 1975 में ये सरकारी शिक्षक जीवन का श्रीगणेश किया। तब से लेकर नवंबर 2015 तक निरंतर चार दशकों की लंबी अवधि तक श्री झा जी हिन्दी भाषा एवं साहित्य के एक शिक्षक के रुप में पटना एवं नालंदा जिले के विभिन्न माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सफलतापूर्वक अपनी सेवा प्रदान की। एक सुयोग्य शिक्षक के रुप में अपने उत्कृष्ट शिक्षण कौशल से ये अपने अनगिनत विद्यार्थियों के भाषा-संस्कार व साहित्यिक अभिरुचि का परिमार्जन किया, वरन् अनेक सुयोग्य शिष्यों की साहित्यिक प्रतिभा को परख कर अपने कुशल मार्गदर्शन में उसे पल्लवित-पुष्पित कराने का स्तुत्य कार्य भी किया।

रामाश्रय झा जी मौलिक काव्य-प्रतिभा से संपन्न व्यक्तित्व हैं

झा जी बचपन से ही काव्य-रचना की मौलिक प्रतिभा से संपन्न रहे हैं। झा जी अपने जीवन में सुदीर्घ काल तक हिन्दी काव्य-साहित्य की छायावादोत्तर धारा के प्रायः सभी प्रमुख कवियों एवं गीतकारों का स्नेह-सान्निध्य प्राप्त करने का सौभाग्य रहा है। इसके अतिरिक्त अपनी मातृभाषा मगही के अखिल भारतीय स्तर के बड़े आंदोलनों में उसके नेतृत्वकर्ताओं के साथ आप अग्रिम पंक्ति के सक्रिय सहभागी रहे हैं। महान साहित्यिक विभूतियों के सुसान्निध्य ने आपकी मौलिक कवित्व-प्रतिभा को निखार कर अद्भुत विलक्षणता प्रदान करते हुए उसमें और भी चार चाँद लगा दिया। परिणामतः पाँच दर्जन से भी अधिक पुस्तकों तथा तीन हजार से भी अधिक गीतों एवं कोमलकांत पदावलियों की रचना करते हुए आज ये हिन्दी एवं मगही के एक अत्यंत लोकप्रिय एवं अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवि के रुप में सुप्रतिष्ठित हो चुके हैं।
झा जी अनेकानेक सम्मान व उपाधियों से विभूषित साहित्य-साधक रहे हैं
विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं शैक्षिक संस्थाओं द्वारा आपकी विशद् सारस्वत साधना को ध्यान में रखते हुए आपको गीत नरेश, गीत गौरव, गीतों के राजकुमार, गीतों के ऋतुराज, विद्या वाचस्पति, साहित्यालंकार, साहित्य कला, विद्यालंकार, काव्य शास्त्री, मगही रत्न, मगही भूषण जैसे सम्मानों और उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है। मूलतः गीत एवं काव्य संग्रह के अतिरिक्त झा जी ने हिन्दी में उपन्यास, नाटक, आलोचना, जीवनी एवं संस्मरण विधाओं में भी रचना की हैं। मगही में आपने महाकाव्य एवं गीत संग्रह के अतिरिक्त नाटक एवं कहानी संग्रह का भी पर्याप्त सृजन किया है। सरल, स्वाभिमानी, विद्वान, कवि-लेखक, सुधी समीक्षक एवं ओजस्वी वक्ता के विविध तत्वों से निर्मित इनका आकर्षक और सम्मोहक व्यक्तित्व सर्वत्र सभी के स्नेह, सम्मान व श्रद्धा का स्वाभाविक पात्र रहता है।
सर्वमंगल एवं लोक-कल्याण के आकांक्षी कवि
श्री झा जी ने समय-समय पर कई सामाजिक व साहित्यिक संगठनों का सृजन किया है। कतिपय पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। 1984 से ही आकाशवाणी में काव्य-पाठ करते आ रहे हैं। पूरे भारत की प्रायः अधिकांश साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में अबतक इनकी सैकड़ों रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हो। प्रकाशित पुस्तकों के अतिरिक्त कई नवसृजित व अप्रकाशित रचनाएँ भी इनके पास संगृहित हैं। ये मूलतः गीतिकाव्य के सिद्धस्त माने जाते हैं। इनके गीतों में प्रेम-सौंदर्य,प्राकृतिक-सुषमा, ग्राम-लालित्य, मानवीय-करुणा, सामाजिक- संवेदना, सांस्कृतिक-चेतना तथा राष्ट्रीय-भावना के चित्र प्रायः देखने को मिलते हैं। झा जी के समस्त रचनाशीलता सर्वमंगल एवं लोक-कल्याण के स्वर से ओत-प्रोत है।हम अशेष गौरव एवं अपूर्व आनंद की हार्दिक अनुभूति के साथ आपका कोटिशः वंदन और हार्दिक अभिनंदन करते हुए आपके स्वस्थ, सुदीर्घ व मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।