नालंदा में शीशे की तरह साफ झलक रहा कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला फिर भी जांच के नाम पर धृतराष्ट्र बन बैठे हैं कृषि विभाग के अधिकारी

नालंदा बिहार शरीफ
जनादेश न्यूज़ नालंदा
बिहारशरीफ (राजीव रंजन) : महाभारत में एक धृतराष्ट्र थे जो दोनों आंखों से अंधे थे और कुरुक्षेत्र में हो रहे महाभारत युद्ध के प्रति उन्हें संजय बताते थे जिससे धृतराष्ट्र केवल परिकल्पना करते थे.नालंदा कृषि विभाग में फसल इनपुट अनुदान में घोटाला साफ तौर पर झलक रहा है जिसे अंधे भी देखकर पकड़ सकेगा बावजूद नालंदा जिला कृषि विभाग के अधिकारी जांच और कार्रवाई के नाम पर धृतराष्ट्र बन बैठे हैं. किसानों को योजना देने के नाम पर कृषि विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला चल रहा है अगर पूरे जिले की बात की जाए तो प्रत्येक प्रखंड और पंचायत में ऐसा सैकड़ों मामला सामने आ सकता लेकिन जो मामला शीशे की तरह साफ झलक रहा है उस मामले में भी पारदर्शी तरीके से जांच नहीं की जा रही है केवल अधिकारियों के द्वारा टालमटोल किया जा रहा है.
नालंदा जिले के बिहार शरीफ प्रखंड अंतर्गत तिउरी गांव में कृषि इनपुट अनुदान का लाभ वैसे तथाकथित किसानों को दिया गया है जिनके पास रहने के अलावे सुई की नोक पर जमीन नहीं है और ना ही वह किसी प्रकार का गैर रैयत किसान है.
एक ही घर से 5-6 आवेदन जिसमें पिता पुत्र और बहू शामिल
कृषि विभाग के कर्मियों और अधिकारियों की मिलीभगत से कृषि इनपुट अनुदान का लाभ किसानों को तो नहीं दिया गया लेकिन 50% कमीशन खोरी के कारण अनुदान की मलाई एक घर में 4-5 लोगों को दी गई जिसमें पिता पुत्र और बहू शामिल हैं.
घोटाले शीशे की तरह साफ झलक रहा है कृषि इनपुट अनुदान का लाभ लेने के लिए एक ही घर से बूढ़ा बाप उसका 2 पुत्र और दोनों बहुएं आवेदन दी थी और प्रत्येक ने अपने आप को खेती योग्य जमीन के लिए 400 से 500 डिसमिल जमीन होने की बात कही है. जबकि हकीकत तो यह है कि इनके पास सुई की नोक पर भी जमीन नहीं है और ना ही यह गैर रैयत है. बावजूद एक ही घर में 3-4 लोगों को अनुदान का लाभ दिया गया.
जिन किसानों का हुआ फसल नुकसान आज भी है उसका जीता जागता उदाहरण
तिउरी गांव में जिन किसानों का फसल नुकसान हुआ था उसका जीता जागता उदाहरण आज भी साफ तौर पर झलक रहा है. लेकिन इन किसानों को अनुदान का लाभ सिर्फ इसलिए नहीं मिला कि उन्होंने कमीशन नहीं दिया और बिचौलियों से किसी प्रकार का कोई सहारा नहीं लिया. हकीकत तो यह है कि जिन किसानों का फसल नुकसान हुआ है आज भी उन खेतों में पानी मौजूद है और गेहूं की फसल उस खेत में नहीं लग सकती है.
गांव रैयत और गैर रैयत किसानों को नहीं मिल सका अनुदान का लाभ
तिउरी गांव में बिचौलिए के निर्देश पर कृषि विभाग के कर्मियों ने कमीशन के चक्कर में रैयत और गैर रैयत किसानों को अनुदान का लाभ नहीं दे सका. किसान बस केवल अपने खेतों में मेहनत कर कार्य कर रहे हैं.
आखिर कब तक होगा जांच ?
ग्रामीणों के आवेदन दिए हुए 1 महीने से भी ऊपर हो चुके हैं बावजूद कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा जांच के नाम पर किसी प्रकार की कोई सुगबुगाहट नहीं की गई है इतना ही नहीं जांच का जिम्मा भी शुरुआती दौर में ऐसे अधिकारी को दिया गया था जिनका तबादला नालंदा से हो चुका था. आखिर किसान किसे सुनाएं और कहां सुनाएंगे साहब आखिर कब तक इस भ्रष्ट सिस्टम से छुटकारा मिल सकेगा. हकीकत तो यह है कि जो किसान होते हैं उन्हें कार्यालय और कृषि विभाग के कर्मियों का चक्कर लगाना पड़ता है लेकिन जो बिचौलिए होते हैं उन्हें उनके घर तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है ताकि बिचौलिए उन्हें नोटों की मलाई मार कर खिला सके.