नाबालिग सिद्ध करने का तिकड़म नहीं आया काम राजगीर गैंगरेप के कुकर्मी को बचाने के लिए सफेदपोश राजनेता ने की थी पैरवी, न्यायालय ने सुनाई उम्रकैद की सजा

नालंदा राजगीर
जनादेश न्यूज़ नालंदा
बिहारशरीफ (राजीव रंजन) : पर्यटक स्थल राजगीर में एक नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप मामले में बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय के पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश एडीजे 7 मोहम्मद मंजूर आलम ने सभी 7 आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनायी है। साथ ही दो को वीडियो वायरल करने के ममाले में तीन- तीन साल की अतिरिक्त और 5 -5 हजार रुपए जुर्माना की अतिरिक्त सजा सुनाई है। सभी सजाएं साथ साथ चलेगी। मामले की सुनवाई स्पीडी ट्रायल के तहत की गयी। इस मामले में आरोपियों की पहचान वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने की थी। इसकी पहचान बाद में पीड़िता ने भी अनुसंधान के दौरान की थी। इस कुकृत्य के आरोपी मिथुन राजवंशी, करण राजवंशी, रंजन राजवंशी, आशीष राजवंशी, राहुल राजवंशी, राम चौधरी व सोनू कुमार है। सभी आरोपित राजगीर के निवासी हैं। जिन्हें न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
मामले के विशेष लोक अभियोजक सुशील कुमार व पीड़िता के वकील संजीव कुमार ने बताया कि 16 सितंबर 2019 की सुबह नाबालिग पीड़िता घर से ट्यूशन पढ़ने निकली थी। रास्ते में उसे पुरुष दोस्त मिला। इसके बाद दोनों पहाड़ी की ओर घूमने चले गए। घूमने के दौरान दोनों पहाड़ी पर बैठे थे। इसी दौरान अभियुक्तों ने पीड़िता व उसके दोस्त को घेर लिया। इसके बाद पीड़िता के दोस्त को मारपीट करते हुए भाग जाने को कहा। लेकिन, जब वे भागने को तैयार नहीं हुए तो आरोपियों ने उन्हें अपने कब्जे में लेकर धमकाते हुए बैठने को कहा। तब पीड़ित के साथ सभी अभियुक्तों ने बारी बारी से दुष्कर्म किया.
इतना ही नहीं रेप कांड का वीडियो भी बनाया। जिसे फेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल कर दिया। इसके बाद मामला मीडिया में उजागर होते ही स्थानीय पुलिस ने मामले में 25 सितंबर 2019 को एफआईआर करते हुए वायरल वीडियो के आधार पर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था। घटना को सत्य पाते हुए सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया गया।
👉इस कुकृत्य में सफेदपोश राजनेताओं ने भी रेपिस्ट को बचाने की की थी कोशिश, नहीं काम आया था कोई तिकड़म
शर्म की बात तो यह है कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में बबुनी गैंगरेप मामले में सफेदपोश राजनेताओं की पैरवी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था जो ऐसे कलयुगी रावण को बचाने के लिए अपने कलंकित चेहरा को सामने ना लाकर पर्दे के पीछे से इस्तेमाल कर रहे थे.अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर जहां 7 कलयुगी रावण के द्वारा एक नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया था जो एक दिल दहला देने वाली घटना थी. इतना ही नहीं अपनी जमानत के लिए 4 आरोपियों की तिकड़म फेल हो गई थी जिसमें गैंगरेप के चार आरोपी जेजेबी एक्ट के तहत कठोर सजा से बचने के लिए नाबालिग होने का तिकड़म भीड़ाया था लेकिन ऐसा नहीं हो सका और किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र एवं सदस्य धर्मेंद्र कुमार की सक्रियता के कारण इनका तिकड़म फेल हो गया और इसे बालिग करार देते हुए मामले को सेशन न्यायालय में स्थानांतरित किया गया और इन्हें नाबालिग होने का कोई तिकड़म काम नहीं आ सका. चार आरोपियों के परिजनों ने नाबालिग साबित करने की कोशिश की जिसमें वह विफल रहे उधर किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने चारों आरोपियों की जांच की थी जिसमें बालिक साबित हुआ दो आरोपियों ने आधार कार्ड के आधार पर खुद को नाबालिग बताया था लेकिन बोर्ड ने नियमों का हवाला देते हुए इसे नहीं माना. बता दें कि इस मामले में राजगीर के मिथुन कुमार,रंजन कुमार उर्फ टूटू उर्फ़ रंजन राजवंशी,राहुल कुमार, करण कुमार,आशीष कुमार,सोनू कुमार और रामकुमार शामिल है.
👉राजनेताओं के दिशा निर्देश में आरोपियों ने इस तरह रचा था तिकड़म
इस घृणित कांड के आरोपी को बचाने के लिए आरोपी राहुल कुमार ने अपनी उम्र के समर्थन में विवेकानंद मध्य विद्यालय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया. हालांकि अभियोजन द्वारा इसके विरोध में प्राथमिक विद्यालय ठाकुर स्थान राजगीर का दूसरा प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किया गया, दोनों में उम्र का अंतर देखते हुए किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने मेडिकल बोर्ड को जांच कराने के निर्देश दिये थे.बोर्ड में राहुल को बालिग होने की पुष्टि कर दी.इस मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक ने एक राजनेता का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें अंधेरे में रखकर आरोपी के नाम पर यह कह कर प्रमाण पत्र बनवा लिया गया कि इसके आधार पर उसे कई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाएगी.
वहीं इस मामले के दो अन्य आरोपी सोनू कुमार ने मध्य विद्यालय राजगीर का स्थानांतरण प्रमाण पत्र के आधार पर खुद को नाबालिग करने की कोशिश की हालांकि जेजेबी में सुनवाई के दौरान दिनांक के साथ छेड़छाड़ की जाने की पुष्टि हुई जिसके बाद जेजेबी द्वारा मेडिकल बोर्ड गठित कर उम्र की जांच कराई गई जिसमें यह भी बालिग साबित हुआ. जबकि करण कुमार और रंजन कुमार ने उम्र प्रमाण पत्र के समर्थन में आधार कार्ड पेश कर खुद को किशोर होने का दावा किया था. वहीं किशोर न्याय परिषद के सदस्य धर्मेंद्र कुमार और लोक अभियोजन पदाधिकारी राजेश पाठक ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 94 के अनुसार आयु निर्धारण में आधार कार्ड की मान्यता नहीं होने के कारण मेडिकल बोर्ड से जांच कराई गई जिसमें करण की उम्र 19 से 20 वर्ष और रंजन कुमार की उम्र 18 से 19 वर्ष के बीच पाई गई.
चारों आरोपी खुद को जुवेनाइल साबित करना इसलिए चाह रहे थे कि इन्हें जेजेबी एक्ट के तहत अधिकतम 3 साल की सजा मिलती यही नहीं आचरण में सुधार की आड़ लेकर 3 साल की सजा पूरी करने से भी बच सकते थे. लेकिन इनका तिकड़म कामयाब नहीं हो सका.
जब इन 4 आवारा पशुओं को बचाने के लिए राजनेता पर्दे के पीछे से अपना जातिगत समीकरण को तैयार करने में जुटे हुए थे खैर न्यायालय ने अपना काम करने में सक्षम रहा और अंततः राजकीय बबुनी गैंगरेप मामले में पीड़िता को न्याय मिली.