आखिर में हार गया दिल और अंतरात्मा की हुई जीत,देशप्रेम ने भारत वापस बुलाया तो मतलबी जमाने ने महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह को बना दिया मानसिक रोगी

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जनादेश न्यूज़ बिहार
पटना (राजीव रंजन) : परसेप्शन सही नहीं है कि केवल शराब, गांजा, भांग, चरस, अफीम, हेरोइन और कोकीन का नशा ही मनुष्य को बर्बादी के कगार पर ले जाता है. कभी-कभी बेइंतहा देशप्रेम का नशा भी आदमी को आर्थिक और बौद्धिक रूप से खत्म कर देता है.
अगर महान गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह इस नशा को अंगीकार नहीं किए होते तो आज उनकी गिनती विश्व के महानतम वैज्ञानिकों में होती. धन-दौलत, मान और सम्मान दाई की तरह उनकी सेवा करतीं.
महान गणितज्ञ बिहार के विभूति डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह का दिल प्यार पाना चाहता था पर अंतरआत्मा देश की सेवा. आखिर में दिल हार गया और अंतरआत्मा की जीत हुई.देशप्रेम ने भारत वापस बुलाया तो मतलबी जमाने ने इन्हें मानसिक रोगी बना दिया और आज सरकार की उन सारी सुख-सुविधाओं को छोड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह गए इतना ही नहीं वोट के ठेकेदार बनने और सुशासन की माला पहनने वालों का एंबुलेंस भी इनके पार्थिव शरीर के लिए समय पर नसीब नहीं हो सका. लेकिन जब किसी मंत्री का कुत्ता बीमार पड़ता तो पूरे राज्य स्वास्थ्य समिति के एक से बढ़कर एक डॉक्टर मंत्री के कुत्ते को सुई भोकने में लग जाते लेकिन जब एक बिहार का कोहिनूर गुमनामी की जिंदगी अपने किराए के मकान में जी रहा था तो इसके इलाज के लिए बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के पास किसी तरह की कोई योजना नसीब नहीं थी. लेकिन आज डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह का आखिर में दिल हार गया और अंतरआत्मा की जीत हुई.