रजौली (नवादा) अनुमंडलीय अस्पताल को कागजों पर ट्रामा सेंटर बना दिया गया है।किन्तु सुविधाएं के नाम पर अस्पताल आनेवाले मरीजों को ठगने का काम किया जा रहा है।इसकी शिकायत दूरभाष सिविल सर्जन नवादा डॉ. नीतू अग्रवाल से भी किया गया था।वहीं बीते शनिवार को जिला प्रभारी मंत्री डॉ. प्रेम कुमार से अनुमंडलीय अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था से अवगत कराया गया था।जिसको लेकर जिला प्रभारी मंत्री द्वारा डीडीसी नवादा दीपक कुमार मिश्रा को अस्पताल का निरीक्षण कर व्याप्त असुविधाओं को दूर करने को निर्देशित किया गया था।उसके बावजूद अस्पताल के हालात अबतक नहीं सुधरे हैं।अस्पताल में पीकू वार्ड बन्द पड़े धूल खा रहे हैं।जिससे नवजात शिशुओं से लेकर किशोर व किशोरियों के इलाज में कठिनाई हो रही है।अस्पताल में ब्लड बैंक,अल्ट्रासाउंड,रेडियोलॉजिस्ट से लेकर सर्जन,हड्डी रोग विशेषज्ञ समेत अन्य प्रकार के चिकित्सकों तक की घोर कमी है।नगर पंचायत के बभनटोली निवासी समाजसेवी रंजीत सिंह कहते हैं कि रजौली एनएच-20 के किनारे अवस्थित है,वहीं रजौली से तिलैया घाटी नजदीक है।सड़क दुर्घटना से घायल मरीजों के बेहतर इलाज हेतु ट्रामा सेंटर की व्यवस्था की गई है।किंतु अस्पताल की दुर्दशा ऐसी है कि अस्पताल आने वाले दुर्घटनाग्रस्त मरीजों का प्राथमिक इलाज कर तुरंत रेफर कर दिया जाता है।स्वास्थ्य सेवाएं मूलभूत सेवाओं के अंतर्गत आता है,इसके लिए जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल को सुदृढ़ करने के साथ-साथ ट्रामा सेंटर कहे जाने वाले अनुमंडलीय अस्पताल रजौली को भी सुदृढ़ करना अति आवश्यक है।अस्पताल आने वाले मरीजों को सेवाओं के नाम पर सिर्फ ठगा जाता है।इसका नतीजा यह होता है कि ग्रामीण दलालों के बहकावे में आकर रजौली में खुले दर्जनों अवैध नर्सिंग होम में जाकर अपना आर्थिक और मानसिक दोहन करवाने को मजबूर हैं।साथ ही बताया कि स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का निपटारा निचले स्तर से बेहतर होने पर शीर्ष संस्थानों पर मरीजों का बोझ भी कम हो पाता है।