विजय हमेशा सत्य की होती है।

जमुई
जनादेश न्यूज़ जमुई
खैरा(रिंकी कुमारी) विद्वान पंडित रामानंद शास्त्री ने परसा ग्राम स्थित नारायण निवास परिसर में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कहा कि विजय हमेशा सत्य की ही होती है उन्होंने कहा कि भक्त प्रल्हाद अपनी मां के गर्भ से ही नारायण नारायण का जप करते रहता था पहलाद जगत के पालन कर्ता विष्णु भगवान का हृदय से भक्ति करता था जबकि उसके पिता हिरण्यकश्यप अपने को भगवान मानता था और अपने पुत्र से कहता था कि तुम मेरा नाम लो मैं ही भगवान हूं लेकिन वह हमेशा इस बात का विरोध करता था हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र के बध करने के लिए कई प्रयास किए मगर वे सफल नहीं हो पाए और अंत में विष्णु भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया दूसरी कथा में श्री शास्त्री ने कहा कि भक्त ध्रुव राजा उत्तानपाद के पुत्र थे उत्तानपाद कि पहली पत्नी का पुत्र था भक्त ध्रुव राजा उत्तानपाद अपनी पिछली पत्नी के बच्चों को लाड प्यार करते थे मगर पहली पत्नी के पुत्र ध्रुव को लाल प्यार नहीं देते थे भक्त ध्रुव विष्णु भगवान की भक्ति शुरू किया उसके भक्ति को देखकर विष्णु भगवान प्रकट हुए तब ध्रुव ने कहा मैं आपकी गोद में बैठने के लिए आतुर हूं आप मुझे पुत्र के रूप में स्वीकार कीजिए क्योंकि मेरे पिता ने कभी भी गोद में लेकर प्यार नहीं किया अंततः विष्णु भगवान ने ध्रुव को गोद में लेकर विष्णु लोग चले गए और कहा कि तुम्हारे नाम से एक लोक ध्रुव लोक रहेगा जिसका नाम रहेगा ध्रुव लोक और तुम ध्रुव तारा के रूप में युगो युगो तक चमकते रहोगे इस कथा वाचन के समय अगल-बगल के नर नारी बुद्धिजीवी महिलाएं एवं बच्चों की उपस्थिति काफी संख्या में थी अंत में शास्त्री ने कहा कि समाज के हर मानव को भक्त ध्रुव एवं भक्त प्रह्लाद के मार्ग पर चलना चाहिए