रजौली (नवादा) प्रखंड क्षेत्र में ऐसे तो सावन में श्रृंगार की परंपरा बरसों से चली आ रही है,लेकिन सावन में हरी चूड़ियों का खास डिमांड होता है। आमतौर पर इसे सुहाग से जोड़कर देखा जाता है,लेकिन ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की गणना के लिहाज से आवश्यक माना जाता है।फिलहाल इन चूड़ियों की डिमांड खूब हो रही है और कस्बाई क्षेत्रों के दुकानदार इसकी होम डिलीवरी भी कर रहे हैं।
क्या कहते हैं,दुकानदार
चूड़ी विक्रेता प्रिंस राज और प्रीति देवी ने कहा कि सावन माह में सोलह श्रृंगार में हरे रंग की चूड़ी,मेहँदी, बिदिया और लाल रंग नेल पॉलिश सहित अन्य सामग्री की बिक्री होती है।विक्रेताओं ने बताया कि सुहागन महिलाएं की पहली डिमांड फिलहाल हरी चूड़ियां रहती है।
क्या कहती हैं,महिलाएं
सुहागन महिलाएं सीमा वर्मा,माधुरी देवी देवी,सोनी प्रिया ने कहा कि हमारे यहां पूर्वजों से सावन में सजने संवरने की परंपरा रही है।खासकर हरे रंग के साड़ी सहित हरे रंग की चूड़ी और मेहँदी के साथ सोलह श्रृंगार की अनूठी परंपरा को हमलोग निभाते रहे हैं। हरी चूड़ियां सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
क्या कहते हैं,ज्योतिषाचार्य
पुरानी बस स्टैंड के बजरंगबली मंदिर के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सावन मास को हरियाली और प्रकृति का महीना माना जाता है।शास्त्रों में महिलाओं को शक्ति यानी प्रकृति का रूप माना गया है।हरे रंग को उपजाऊ शक्ति का प्रतीक माना जाता है।सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं।हरा रंग बुध से प्रभावित होता है।सावन में रही चूड़ियों के साथ मेंहदी लगाने की परंपरा उसी का एक हिस्सा है।