रजौली (नवादा) प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों मोबाइल और लैपटॉप पर लंबे समय तक देखने या काम करने पर स्क्रीन एडिक्शन के शिकार बन रहे हैं।इसमें बच्चे,किशोर और युवाओं की संख्या अधिक है।औसतन 5 से 6 घंटे तक स्क्रीन देखने से दुष्प्रभाव भी सामने आए हैं।अनुमंडलीय अस्पताल रजौली डॉक्टर सतीश चंद्र सिन्हा बताते हैं कि इससे सीखने की क्षमता,याद्दाश्त में कमी और आंखों की दिक्कत हो रही है।ओपीडी में प्रतिदिन 5 से 10 मरीज स्क्रीन टाइम के चलते आ रहे हैं।मरीजों में लंबे समय तक आड़े-तिरछे बैठने,लेटकर देखने से सिर व गर्दन में दर्द, जकड़न,रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत मिल रही हैं।बच्चों-किशोरों में स्मरण शक्ति, सीखने और एकाग्रता भी कम हो रही है।दरअसल स्क्रीन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलते हैं।जो सीधे मस्तिष्क के ट्रांसमीटर संतुलन को प्रभावित करते हैं।लंबे समय तक ऐसी स्थिति पर मस्तिष्क में ट्यूमर का भी खतरा हो सकता है।
कम झपका रहे आंख के पलक
डॉक्टर ने बताया कि बच्चे औसतन तीन घंटे स्क्रीन देख रहे हैं।इससे उनका पलक झपकाना प्रभावित हो रहा है।औसतन एक मिनट में 12-15 बार पलक झपकते हैं,लेकिन बच्चे मुश्किल 3 से 5 बार ही ऐसा कर रहे हैं।इससे आंखों की नमी कम होने से खुजली,जलन की दिक्कत,धुंधला दिखने और नजर भी कमजोर होने की संभावना है।इस तरह के मरीजों में वर्तमान समय में काफी इजाफा हुआ हैं।
गुस्सा करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी
डॉक्टर ने बताया कि स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों की पढ़ाई और कार्यक्षमता प्रभावित होने के साथ मानसिक विकार भी बढ़ गए हैं।नींद पूरी नहीं होने से चिड़चिड़ापन,अकेले रहने की प्रवृत्ति बढ़ गई है।पढ़ाई और कामकाज भी प्रभावित होने लगा है। मोबाइल व लैपटॉप नहीं देने से गुस्सा करना,चीखना-चिल्लाने के साथ सामान भी फेंक देते हैं।ऐसे स्थिति में बच्चों को मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए।इस तरह के मरीज ओपीडी में आना शुरू भी हो गए हैं।
इन कारण का हो रहे शिकार
सामाजिक ज्ञान की कमी होना।नकल करने की आदत।अश्लील सामग्री देखना व स्लीप डिसऑर्डर।मोटापा, उम्र बढ़ने पर हृदय रोग व मधुमेह।ईयरफोन लगाने से कान में दर्द,ऊंचा सुनना।
बचने का ये है उपाय
अनुमंडलीय अस्पताल प्रभारी उपाध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार ने कहा की बच्चों को मल्टीमीडिया फोन देने से बचें।इंटरनेट का रिचार्ज कम दिनों के लिए कराएं।जरूरत पर ही मोबाइल-लैपटॉप का इस्तेमाल करें।
कंप्यूटर,लैपटॉप आंखों से कम से कम 25 सेंटीमीटर दूर हो।रात को सोने से पहले और अंधेरा में मोबाइल फोन न चलाएं।