बारिश के अभाव व लगातार तेज धूप से धान की फसल में लगी लगने लगी बीमारी

नवादा

जनादेश न्यूज़ नेटवर्क

रजौली (नवादा) : प्रखंड क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने एवं लगातार हो रहे तेज धूप का असर धान की फसलों पर दिखने लगा है।तेज धूप व गर्मी के कारण क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में लगे धान की फसलों में तरह-तरह की बीमारियां देखने को मिल रही है। धान की फसल में लगे रस चुश्क ब्लास्ट आदि कीटों के संक्रमण से किसान परेशान हैं।बीमारी के कारण धान की फसल सूखने लगी है। यह बीमारी जड़ से लेकर पत्ते तक फैली हुई है।यह रोग फफूंद जनित है जो पौधों की वृद्धि की प्रक्रिया को रोक देती है।जिससे उसकी अंकुरण क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। पत्तियों पर तिल के आकार के भूरे रंग के काले धब्बे पड़ जाते हैं।यह धब्बे आकार एवं माप में बहुत छोटी बिंदी से लेकर गोला आकार का होता है। धब्बों के चारों ओर हल्की पीली आभा बनती है।पत्तियों पर यह पूरी तरह से बिखरे होते हैं।धब्बों के बीच का हिस्सा उजाला या बैगनी रंग का हो जाता है।बड़े धब्बों के किनारे गहरे भूरे रंग का हो जाते हैं।बीच का भाग पीलापन के लिए गंदा सफेद या धूसर रंग का हो जाता है। पौधों के बीच से ऊपर पत्तियों के अधिकांश भाग धब्बों से भर जाता है।यह धब्बे आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं और पतियों को सूखने लगते हैं।पीरीकुलेरिया ओराईजी नमक कवक द्वारा फैलता है।रजौली कृषि सलाहकार मनोज चौधरी ने बताया कि धान में गर्मी व उमस के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। इस रोग के लेकर लक्षण मिलने के बाद जानकारों से सलाह लेकर बायोमैक्सम या सुपर किलर नामक कीटनाशक का प्रयोग करना लाभप्रद है।बायोमैक्सम को 100 एमएल प्रति 100 लीटर पानी के हिसाब से तथा सुपर किलर को 200 एमएल 100 लीटर पानी में मिलाकर धान की फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इसके छिड़काव करने से रोग का प्रभाव खत्म होगा साथ ही धान की बालियां भी पुष्ट होगी।

पत्तियों पर दिखाई देते बीमारी के लक्षण 

रोग के लक्षण पहले पत्तियों पर दिखाई देता है।इसका आक्रमण गठन तथा दोनों के छिलकों पर भी होता है।जब यह रोग उग्र होता है तो बलि के आधार भी रोग ग्रस्त हो जाते हैं।जिससे बाली कमजोर होकर टूट कर गिर जाती है।अनुकूल वातावरण में बढ़कर आपस में मिल जाते हैं। जिसके फलस्वरुप पत्तियां जुलूस कर सूख जाती है।

रोग जनित पौधों में नहीं करें यूरिया का छिड़काव 

कृषि सलाहकार मनोज चौधरी ने बताया कि इस मौसम में धान की फसल में फफूंद रोग ज्यादा हो रहे हैं। यह रोग उन खेतों में पाए जाते हैं। जिस खेत में इस तरह की बीमारी का लक्षण दिखाई पड़े तो किसान को यूरिया का छिड़काव नहीं करना चाहिए।अगर धान की पट्टी सफेद होकर सूख रहा है,या धान का पौधा गल कर गिर रहा है तो कृषि विशेषज्ञों से मिलकर उचित सलाह से दवा का छिड़काव करना चाहिए।