मुंगेर (गौरव मिश्रा )शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है । शिक्षा गतिशील हो इसलिये ये जरूरी है कि देश एवं काल के अनुसार शिक्षा के एलीमेंट पर भी विचार करना चाहिये । शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य का निर्माण करना है । जिसका विचार नई शिक्षा नीति में हुआ है । सभी शिक्षा नीतियों का सार यह है कि शिक्षा का जुडाव संस्कृति से होना चहिये । शिक्षा की जड किसी भी देश की संस्कृति में होनी चाहिए । यदि शिक्षा से संस्कृति और चरित्र का निर्माण नही होता है तो वह शिक्षा व्यर्थ है । भारतीय शिक्षा का विचार केवल बुद्धिमान होना ही नही है बल्कि देश की मूल चेतना को जगाना है । इसे समझकर ही देश के पीढी के विकास हेतु शिक्षा नीति का निर्माण कर सकते है। कोई भी शिक्षा जो देश के लिये है वह उस देश के अनुरूप हो। आध्यात्मिकता की चेतना को जगाने वाली शिक्षा होनी चहिये । जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा है । अपने देश, समाज, माता पिता के लिये कुछ करने का विचार यदि उत्पन्न नही हो सका तो वह शिक्षा के मानदंड पर खडा नही उतर सकता है । लक्ष्य के अनुसार ही हमें कार्य करना चाहिए । Do what you value or value what you do.” उक्त बातें श्रद्धेय भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर, बेलन बाज़ार, मुंगेर में *नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019* विषय पर आयोजित विभागीय विद्वत परिषद संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विद्या भारती उत्तर-पूर्व क्षेत्र के सचिव दिलीप कुमार झा ने कही। संगोष्ठी में उपस्थित रहमानिया बी0 एड0 कॉलेज के प्रवक्ता श्री राजन कुमार ने कहा कि “कक्षा के टीचिंग मैथड के साथ सरल ढंग से बिंदुओं को समझाने में कौशल का उपयोग करना चहिए । मोटी किताबें असफल शिक्षा का परिचायक हैं । शिक्षा बिना बोझ का हो ताकि बच्चों को सबल बनायें जा सके। अच्छा छात्र वही है जो अच्छे तर्क के साथ अपनी बात को रखता है । वर्तमान में प्रगतिशील शिक्षा पर पाठचर्या बनायी गयी है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 गुणवतापूर्ण शिक्षा पर बल दिया गया है । शिक्षा प्रणाली का बागडोर शिक्षकों पर ही निर्भर होता है । प्रो0 विद्या चौधरी ने कहा कि किसी भी देश की तरक्की शिक्षा में निहित होती है । नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक शिक्षण का पाठ्यक्रम जोडा गया है । नई शिक्षा नीति में साक्षरता की संकल्पना को प्राथमिकता दी गई हैं । भाषा ज्ञान की जानकारी पूर्व में दी जाती थी लेकिन अब अंग्रेजी की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है । त्रिभाषाई सूत्र को नई शिक्षा नीति में महत्व देने की अनुशंसा की गई है । शिक्षा का उद्देश्य अपने पर्यावरण एवं परिवेश को समझना एवं समझाना है । इस नई शिक्षा नीति को पर्यावरण से जोडकर शिक्षा देने का प्रयास किया गया है । बी0 आर0 एम0 कॉलेज के प्रो0 प्रकाश कुमार ने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार की इच्छा है कि बच्चें innovative हो, चरित्रवान बनें इसी बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीति बनाई जा रही है । पोषाहार देकर बच्चों को उठाने का प्रयास किया गया है। संस्था में उपलब्ध संसाधन का उत्तम सदुपयोग किया जाना चाहिए । इस अवसर पर निर्मल कुमार जालान, नीरज कौशिक, धनंजय शर्मा, नीरज कुमार, कोषाध्यक्ष , डॉ0 उदय शंकर, अमरनाथ केशरी, मुंगेर विभाग के विद्वत परिषद के सभी सदस्य , 41 शिशु/विद्या मंदिरों के प्रधानाचार्य, आचार्य व विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के माननीय सदस्यगण विशेष रूप से सम्मिलित हुए ।अंत में भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सह सचिव प्रकाश चन्द्र जायसवाल ने इस संगोष्ठी में उपस्थित सभी विद्वत जनों का धन्यवाद ज्ञापण करते हुए कहा कि शिक्षा से बच्चों में जीवन जीने की जजबा पैदा करें ऐसा परिणाम इस गोष्ठी के उपरांत मिलेगी ऐसी अपेक्षा है । इस कार्यक्रम का संचालन सुश्री सुकृति भारती द्वारा किया गया । अंत में कल्याण मंत्र के साथ संगोष्ठी सम्पन्न हुई ।