दीपावली पर जलाऐं मिट्टी के दीये

जमुई
जनादेश न्यूज़ जमुई
गिद्धौर (अजित कुमार यादव):बदलते वक्त के साथ त्योहारों को मनाने का तरीका भी बदल चुका है।ऐसे में रोशनी के त्याेहार दीपावली में भी लाइटिंग से लेकर पटाखे और मिठाइयों तक में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। दीपावली ही एेसा त्योहार है जो हमें अपनी जमीन और अपने करीबियों से जोड़े रखता है।ऐसे में दीपावली पर मिट्टी के दीये हमारी जिंदगी को खुशियों की रोशनी से जगमग करते हैं। दीपावली पर मिट्टी के दीये से रोशन करें खुशियां जी हां, दीपावली आने वाली है। लोग इसकी तैयारी में जूट गये हैं। घरों की साफ-सफाई भी शुरू हो गयी है। वहीं, जमुई जिले भर में कुम्हार मिट्टी के दीये बना रहे हैं। ताकि दीपावली पर कुछ कमाई कर सकें और लोग मिट्ठी के दीयों से पारंपरिक दीपावली मना सकें। मिट्टी का दिया कहीं ना कहीं इस बात का संदेश देता है कि पर्व त्योहार को मनाते वक्त हम अपनी मिट्टी से भी जुड़े रहे, लेकिन एक विडंबना यह भी है कि जिस मिट्टी के दीये को बनाकर जो लोग हमें त्योहारों में जमीन से जुड़ कर रख रहे हैं ।उन्हीं की कद्र शायद हम नहीं कर पा रहे हैं और वह बड़ा ही कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं । गिद्धौर प्रखंड भर के कुम्हार टोली का नजारा देखते बन रहा है। चाक पर चलते हाथ और मिट्टी से तैयार होते दीये एवं खिलौने हमें आकर्षित करते हैं। उन की अंगुलियों का जादू देखते ही बनता है।
दीपावली पर अब हम बिजली की रोशनी अधिक करने लगे हैं। मगर अब भी जरूरी यही है कि हम इस दिन मिट्टी के दीये अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। इससे साल भर छोटे-छोटे दीये बनाने वाले गरीब मेहनतकशों कुम्हार की मेहनत सफल हो सकेगी। उन्हें अपनी मेहनत का लाभ मिल सकेगा और वे भी दीपावली सुकून से मना सकेंगे। मिट्टी के दीयों की रोशनी आकर्षक तो होती ही है, साथ-साथ उसकी जगमगाहट आंखों के लिए सुकूनदेह भी होती है। अच्छी बात यह भी है कि इससे प्रदूषण बढ़ने का कोई खतरा नहीं होता, उल्टे मिट्टी का दीया टूटने के बाद मिट्टी में आसानी से मिल जाता है। इसलिए हमें हमेशा दीयों वाली दीपावली मनानी चाहिए।