बिहारशरीफ (राजीव रंजन 9304117882) : भगवान सूर्य की पहली किरणों ने जैसे ही गंगा की पवित्र लहरों को छुआ वैसे ही व्रतियों के चेहरों पर लालिमा उतर आई और होठों पर मुस्कान की बुद बुदाहट शुरू हुई. लाखों-करोड़ों हाथ ऊपर उठे जल का अर्घ्य दिया गया किरणों ने जल को ऐसे छुआ जैसे सूर्य देव ने स्वयं आगे आकर अर्घ्य को स्वीकार किया हो. और इसी के साथ सूर्य देव के महानुष्ठान का महा संकल्प संपन्न हुआ.जो मानव कल्याण भाव के साथ व्रत के रूप में धारण किया गया था. क्या पटना, क्या नालंदा का बड़गांव, ओनगारी धाम, क्या वाराणसी का संगम,क्या मुंबई क्या दिल्ली ,समस्त भारत छठ महापर्व की सतरंगी छटा में रंगा हुआ नजर आया. इस सुबह का इंतजार तो बीते 36 घंटों के निर्जला उपवास के साथ किया जा रहा था और वह रात कहां था वह तो उल्लास कि एक क्षण थी जो बातों ही बातों में बीत गये. रात के तीसरे पहर बीतते ही छठ व्रतियों के कदम स्वयं छठ घाट की ओर बढ़ने लगे छठ व्रति जल में प्रवेश होकर अपने हाथों में सूप लेकर और सुप पर टीम टिमाती दीपक और मन में मंगल कामना और आंखों में भगवान सूर्य के दर्शन की अभिलाषा के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं. छठी मैया से जुड़ी आस्था से परंपराओं का अद्भुत संगम छठ घाटों पर देखने को मिलता है. माथे पर दौरा छठ व्रती माता के हाथों में जल का पात्र कोई शांत चित्त से तो कोई ढोल बाजे के साथ छठ घाट पहुंच भगवान भास्कर को अपना अर्घ्य समर्पित करती हैं और अपने परिवार तथा अपने लोगों के लिए सुख समृद्धि और शांति की मंगल कामना करती हैं. 36 घंटे निर्जला उपवास के साथ उदयाचल भगवान भास्कर को भगवान दिवाकर को अर्घ्य समर्पित कर इस वर्ष की छठ की छटा समाप्त हुई और यादों में छूट गया बिहार का यह लोक आस्था का महापर्व छठ.